Why #NoMore50 trending on social media ?

बॉलीवुड एक्टर जॉन इब्राहिम, करिश्मा तन्ना से मेनका गांधी समेत कई पॉलिटिशन पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 में संशोधन क्यों करना चाहते है ?
बॉलीवुड एक्टर जॉन इब्राहिम, करिश्मा तन्ना से मेनका गांधी समेत कई पॉलिटिशन पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 में संशोधन क्यों करना चाहते है ?
#NoMore50 सोशल मीडिया पर आजकल यह हेश टेग बहोत ट्रेंडिंग हो रहा है । बॉलीवुड एक्टर जॉन इब्राहिम, करिश्मा तन्ना से मेनका गांधी समेत कई पॉलिटिशन इस हेश टेग के साथ पोस्ट कर रहे हैं, लेकिन इसका मतलब क्या है ? आपने केदारनाथ, अमरनाथ तीर्थ स्थानों पर घोड़े और खच्चरों के वीडियोस तो देखे होंगे। इसके अलावा किसी गली मोहल्ले में या राह चलते कुछ लोग बेमतलब बेजुबान जानवरों पर अत्याचार करते हैं। और अगर किसी ने वीडियो बना लिया तो पकडे भी जाते है । लेकिन क्या आपको पता है कि इस अपराध का जुर्माना कितना है ? अधिकतम ₹50 यकीन नहीं हुआ ना लेकिन यह सच है । जानवरों के प्रति हिंसा को रोकने के लिए साल 1960 में एक कानून लाया गया । नाम दिया गया पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 इस की धारा 11 के मुताबिक अगर कोई पशु के साथा क्रूरता करता है तो उस पर ₹10 से लेकर ₹50 तक जुर्माना या 3 महीने तक की सजा का प्रावधान है। इस कानून को अब 63 साल होने जा रहे हैं । लेकिन जुर्माने की राशि अभी भी ₹50 हि है । ऐसे में जानवरों पर हिंसा के मामले में जुर्माना राशि बढ़ाने के लिए देशभर में #NoMore50 अभियान चलाया जा रहा है ।
बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने इस संबंध में पीएम नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय पशु पालन एवं डेयरी मंत्रालय पुरुषोत्तम रुपाला को एक लाख ईमेल करने की अपील की है । साथ ही सोशल मीडिया पर #NoMore50 के साथ पोस्ट करने को भी कहा है । ताकि संसद के मॉनसून सत्र के दौरान पशु क्रूरता निवारण अधिनियम संशोधन विधेयक पेश किया जा सके । उन्होंने कहाँ है । ये इलेक्शन के पहले का आखरी साल है । जैसे जैसे इलेक्शन पास आएगा वैसे वैसे ये एक्ट पीछे रेह जाएगा । फिर अगली सरकार करेगी । दस साल हो गये है । इसका इंटझार करते करते । और अगर आप सभी मिलकर कहे तो शायद यह मॉनसून सत्र में पेश कर पाये । ये आपकी ताकत दिखाने का वक़्त है ।
वहीं बॉलीवुड एक्टर जॉन इब्राहिम ने कहाँ जानवर अपने हक के लिए आवाज नहीं उठा सकते है, इस लिए हमें उनके लिए खड़ा होना होगा । उन्होंने पार्लियामेंट के सभी मेम्बर्स से अपील की है । कि पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, को मॉनसून सत्र में लाये । किसी घोडे कि जान लेने की, किसी पपी पर एसिड फेंकने की, किसी चिडिया को पत्थर मारने की सजा ₹50 की पेनल्टी ? अब बहोत हो गया है । मैं वीडियो देखने वालों को केहना चाहता हूं कि आप पीएम नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय पशु पालन एवं डेयरी मंत्रालय पुरुषोत्तम रुपाला को पशु क्रूरता निवारण अधिनियम संशोधन विधेयक को मॉनसून सत्र में पेश करने की अपील की है ।
करिश्मा तन्ना ने कहा जानवरों के बनाये कानून अब बूढ़े हो गये है । इस लिए इन कानूनों को रिटायर्ड करने का वक़्त आ चुका है । घोडे बूढ़े हो कर नहीं मरते है । हम उन्हें बूढ़ा होने हि नहीं देते है । केदारनाथ, वैश्नो देवी, अमरनाथ जैसे तीर्थो में, और माथेरान, पहेल गाँव, माउन्ट आबु जैसे टूरिस्ट स्पॉट पे हम इनके साथ दिल दहलाने वाली क्रूरता देखते है। इनमें से ज्यादातर अंधे, लंगड़े, घायल और अंडर एज होते है ।ऐसे ही किसी कारण एक दिन काम करते करते मर जाते है। मौत ही एक तरह से राहत बनकर आती है, इस तरह के वर्किंग एनिमल्स के लिए । कोई कुछ नहीं करता क्योंकि इनके लिए बनाए गए कानून बूढ़े हो गए है । किसी की जान लेने की सजा आज भी ₹50 का जुर्माना है । पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 को रिटायर्ड करने का समय अब आ गया है । जिससे हमारे एनिमल्स को अच्छे से जीने का मौका मिल सके ।उन्होंने पीएम नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय पशु पालन एवं डेयरी मंत्रालय पुरुषोत्तम रुपाला को पशु क्रूरता निवारण अधिनियम संशोधन विधेयक को मॉनसून सत्र में पेश करने की अपील की है । और कहाँ है कि इंसानों के इंसानियत में ही भारत की भारतीयता है ।
इस से पहले साल 2021 में बिजू जनता दल के सांसद अनुभव मोहंती और लोजपा के सांसद प्रिंस राज #NoMore50 की टीशर्ट पहनकर संसद पहुंचे थे और इस मुद्दे को उठाया था । साल 2020 में भी अलग-अलग पार्टियों के 10 सांसदों ने मोदी सरकार को पत्र लिखकर पशु क्रूरता निवारण अधिनियम में संशोधन करने की अपील की थी। वहीं 2010 में भी लोकसभा में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम में संशोधन का मुद्दा उठा चुकी है ।
इस संसोधन में कानून को लेकर निहारिका कश्यप केहती है । कि बहोत हि दुर्भाग्यपूर्ण है कि कानून बनने के 63 साल बाद भी इसमें बदलाव ना हो पाना, यह दिखाता है, कि सरकार जानवरों के अधिकारों को लेकर संजीदा नहीं है । हम लोग कहीं ना कहीं पीछे हट रहे है । हम लोग जानवरों की कम केयर करते हैं ।जब कि महात्मा गांधी ने कहाँ है, कि एक देश को इस बात से जाना जाता है, कि उसके यहाँ जानवरो को कैसे रखे जाते हैं । हमारे यहाँ और भी बहुत सारे इश्यूज हैं । जिनको हमें देखना चाहिए। और जो इश्यूज है, उन इश्यूज में कम प्रयोरिटीज दिया जाता है । इसी लिए पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 का है, जिसमें संशोधन नहीं हुआ । जब तक जुर्माने की राशी नहीं बढेगी, तब तक लोगों के मन में जानवरों पर अत्याचार करने पर उस स्तर का डर पैदा नहीं होगा । जैसा कि रेप और हत्या करने पर होता है। पशु क्रूरता निवारण अधिनियम का जो संशोधित बिल तैयार किया है। उसमें सजा के प्रावधान के बारे में निहारिका केहती हैं, जुर्माना ₹50,000 से ₹100,000 होना चाहिए । जब भी कोई केस होता है तो उसमें पहले पेनल्टी देखी जाती है ।
11 अगस्त तक चलने वाले मॉनसून सत्र में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम कानून में संशोधन के लिए बिल पेश हो ताकि जानवरों के अधिकारों को संरक्षित किया जा सके और पशु क्रूरता करने वालों के जेहन में एक डर पैदा हो । क्योंकि आज के दौर में एक ऐसा अपराध जिसे करने पर ₹50 का जुर्माना हो उसे करने से पहले या करने के बाद में कोई नहीं सोचता । लेकिन अगर यही जुर्माना ₹5,00,000 का हो जाए तो उम्मीद है कि लोग इस तरह के अपराध करने के पहले कई बार सोचेंगे। इसी सोच के साथ ही सोशल मीडिया पर #NoMore50 अभियान चलाया जा रहा है। इस पर आपकी क्या राय है ? हमें कॉमेंट करके बताये ।
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Writer Ridham Kumar
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