Supreme court extend the job time of Sanjay Kumar Mishra , till 15 September
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सुप्रीम कोर्ट ने ईडी चीफ संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल 50 दिन तक बढाया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से विपक्ष में चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी चीफ संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल 50 दिन तक बढाया।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से विपक्ष में चिंता
सरकार ने ईडी चीफ संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में कल एक याचिका दाखिल की थी ।
उस आज फैसला आ चुका है । सुप्रीम कोर्ट ने ईडी चीफ संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल 15 सितंबर तक बढाये जाने के लिए मंजूरी दे दी है । सरकार तो ईडी चीफ का कार्यकाल नवंबर तक बढाना चाहती थी । पर सुप्रीम कोर्ट ने
50 दिनों के लिए कार्यकाल बढाने के लिए मंजूरी दी है । और सरकार को चेतावनी देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है । ये आखरी बार मंजूरी दे रहे है ।
पहली बार ऐसा हुआ है कि ईडी चीफ की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिनों पहले ही कहा, ये नियुक्ति ये एक्सटेंशन गैरकानूनी है । और कल उसी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा सरकार ने यह कहकर खटखटाया। कि तुरंत सुनवाई कीजिए हमारे पास कुछ फैक्ट्स है। हम चाहते हैं, इस मुद्दे को आप सुने और मुद्दा है कि जिस इडी चीफ के नियुक्ति और एक्सटेंशन को संजय कुमार मिश्रा उनकी युक्ति को आप ने गैरकानूनी करार दिया था और 31 जुलाई को उनको रिटायर होना है तो हम ये चाहते हैं कि उनका कार्यकाल नवंबर तक चले । इसके लिए आप सुनवाई करे । सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को वक्त दे दिया, और कहाँ कल 3:30 बजे हम सुनवाई करेंगे ।
8 मई को सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट ने सरकार कि तरफ
से मौजूद सॉलीसीटर जनरल से पूछा था । क्या संजय मिश्रा इतनी जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट के मना करने के बावजूद कार्यकाल बढ़ाया गया ? क्या कोई व्यक्ति वाकई कितना जरूरी हो सकता है ? और जब 2021 के फैसले में हम ने साफ कर दिया था कि रिटायर के बाद एक्सटेंशन कम अवधि का होना चाहिए तो संजय मिश्रा को आगे कोई एक्सटेंशन क्यों दिया गया ? और 2021 से ही इनकी नियुक्ति गैरकानूनी है फिर भी आपने एक्सटेंशन दे दिया ? सरकार ने कहा कि प्रशासनिक कारणों से जरूरी था और जो एसएपीटी यानी वित्तीय कार्य होता है वह अंतरराष्ट्रीय तौर पर उसका आकलन होता है । क्योंकि मनीलांड्रिंग देश के बहार से होता है । तो उसके लिए मूल्यांकन होता है। अंतरराष्ट्रीय तौर पर यही तर्क सरकार लगातार दे रही है । तो सुप्रीम कोर्ट ने 4 सवाल फिर पूछे थे । कोई दूसरा व्यक्ति नही है ? जो उनका काम कर सके । क्या एक व्यक्ति इतना जरूरी हो सकता है ? आपके मुताबिक ईडी में दूसरा कोई व्यक्ति है हि नही ? और 2023 के बाद संजय मिश्रा रिटायर हो जाएंगे ? उसके बाद क्या होगा ? सुप्रीम कोर्ट ने ईडी ओर सीबीआई के 5 साल तक कार्यकाल बढ़ाने के कानून को सही ठहराया था । कानून पर न्यायिक समीक्षा का दायरा बहोत सीमित होता है । इन अधिकारियों की नियुक्ति उच्च स्तरीय समिति करती है। इन संशोधनों को बरकरार रखा जा सकता है। इसमें पर्याप्त सुरक्षा उपाय है ।और जनहित व लिखित कारण के साथ उच्च स्तरीय अधिकारियों के सेवा विस्तार दिया जा सकता है। यानी सुप्रीम कोर्ट के भीतर जनहित के आधार पर सरकार को लिखकर देना है कि आखिर इनकी नियुक्ति को वक्त कंटीन्यू नवंबर तक क्यों करना चाहती है ?
सुप्रीम कोर्ट ने ईडी चीफ को गैरकानूनी करार देते हुए जो फैसला दिया था । उसके उलट इस समय में नई परिस्थिति क्या सुप्रीम कोर्ट खड़ी कर सकती है ?
सीबीसी यानी सेंट्रल विजिलेंस कमीशन अधिनियम और दिल्ली पुलिस का स्थापना नियम संशोधन को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है । यह कहते हुए कि ईडी डायरेक्टर का कार्यकाल 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है । जब सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था। उस समय तक सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को अपने यहां सुरक्षित रखा हुआ था। यानी तब तक यह फैसला नही आया था । सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जता दी। कि अब ईडी डायरेक्टर का कार्यकाल और सीबीआई का कार्यकाल 5 साल तक रह सकता है । इस लिए संजय मिश्रा 2 साल के लिए ईडी डायरेक्टर नौकरी करते हुए थे। उसके बाद 2020 में जब रिटायर होने लगे तो 1 साल का एक्सटेंशन दिया गया, और एक्सटेंशन देने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बकायदा अपनी बात को रखा कि 1 साल का एक्सटेंशन दिया जा सकता है । जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जताई, लेकिन उसके बाद के दो एक्सटेंशन गैरकानूनी थे और सुप्रीम कोर्ट ने जिस नियुक्ति को गैरकानूनी करार दिया, अब उसी नियुक्ति को दोबारा नियुक्त करने की इजाजत क्या सुप्रीम कोर्ट दे दी है । ये सवाल अब इसलिए बड़ा हो गया है । क्योंकि एक तरफ ईडी के पास वो तमाम फाइल तैयार है । ईडी के जो मौजूदा डायरेक्टर है संजय कुमार मिश्रा उन्होंने जिन नेताओं की फाइल तैयार की है। कोई नया ईडी डायरेक्टर आएगा तो अपने अधिकारियों को अपने अनुकूल बनाएगा। चली आ रही परंपरा से उलट फाइलों को टटोलना शुरू करेगा। तब तक एक लंबा वक्त निकल जाएगा और मौजूदा स्थिति जो राजनीतिक तौर पर हो चली है, उसमें ईडी के पास वक्त की कमी है। सही मायने में सरकार के पास भी वक्त की कमी है । वो समझ रही है कि ! संजय मिश्रा अगर पद पर बरकरार रहते हैं और अगर सुप्रीम कोर्ट 5 साल तक ईडी का डायरेक्टर कोई रेह सकता है। इसको सहमति दे चुके हैं तो अब उन्हें कोई दिक्कत होनी नहीं चाहिए। आज फैसला इसी बात को लेकर हुआ है ।
क्या सरकार की प्लानिंग वाकई इंडिया को तोड़ देने की है ? 9 राज्य 10 नेता अगर एक एक को परखना शुरू करें तो उसके ऊपर लगे जो आरोप है और ईडी के पास जो फाइल है, पहले आप उसे समझ लीजिए। ईडी जीन 10 नेताओं को लेकर काम कर रही है। अगर उनकी गिरफ्तारी होती है ? और अगर उनके अपने राज्य के चुनाव पर उनकी अपनी साख पर बट्टा लगता है ? तो क्या वाकई मोदी सता ईडी के जरिए प्लानिंग कर चुकी है ? और इसीलिए उन्हें संजय मिश्रा चाहिए ? इसीलिए वह इस चीज को खोना नहीं चाहती है ?
सुप्रीम कोर्ट के 15 सितंबर तक संजय कुमार मिश्रा को पद पर रहने कि इजाजत देने से । उन नेताओं की फाइल वैसे ही खुल जाएगी । ईडी ने जो नाम सुप्रीम कोर्ट को सौंपे हुए है । ये केहकर कि इन नेताओं के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला बनता है । शरद पवार, महाराष्ट्र, कोऑपरेटिव बैंक स्कैम, अभिषेक बनर्जी, पश्चिम बंगाल के भीतर नियुक्ति और कोयला का स्कैम, तेजस्वी यादव रेलवे में नौकरी के बदले जमीन मनी लॉन्ड्रिंग को इससे भी जोड़ दिया गया करप्शन के होते हुए । सीबीआई ने अपने तौर पर हरी झंडी दी। ईडी ने उसे पकड़ लिया। उद्धव ठाकरे के साले श्रीधव माधव पाटणकर जो श्री साईं बाबा ग्रहणी मिली प्राइवेट लिमिटेड चलाते हैं। तकरीबन सात करोड़ तो इनके फ्रिज भी किए जा चुके हैं। यानी इनकी भी गिरफ्तारी हो सकती है ? और उद्धव ठाकरे कितना दबेंगे ? फारूक अब्दुल्ला क्रिकेट स्कैम यानी स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन फंड के हेरफेर का मामला है ।जिसको मनीलॉन्ड्रिंग के मामले में लाया गया है । भूपेंद्र सिंह हुड्डा तकरीबन 391 करोड की संपत्ति तो फ्रिज की जा चुकी है, लेकिन मनीलॉन्ड्रिंग का मामला तकरीबन डेढ़ हजार करोड़ का है ये जमीन से जुड़ा मामला है । जो गुड़गांव के भीतर मनेश्वर, नौरंगपुर, लखलुला का इलाका है । जहां पर जो जमीन दी गई और बिल्डर्स को जिस रूप में जमीन दि गई उससे जुड़ा हुआ मामला है । और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ चुका है । छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 2000 करोड़ का जो पूरा शराब घोटाला है उसको लेकर पॉइंट से पॉइंट ईडी ने दस्तावेज क्रिएट किये हुए है । तीन आईएस को वो जेल में डाल चुकी है । जो सबसे करीबी थे। उसमें एक रेनू थी जो शनिवार के दिन गिरफ्तारी हुई। उससे पहले सौम्या थी उनकी गिरफ्तारी हुई। उससे पहले एक और आईएस कि गिरफ्तारी हुई। अब मुख्यमंत्री तक पहुंचना है तो यह नाम भूपेश बघेल का है तो दो हजार करोड़ के शराब घोटाले को लेकर । राजस्थान के भीतर ईडी अशोक गहलोत का दरवाजा नहीं खटखटा पाई । तो उनके भाई अग्रसेन गहलोत 2007 और 9 का फर्टिलाइजर स्कैम, इनके बाद है कर्नाटक के डीके शिवकुमार कि फाइल भी तैयार है । चुनाव के दौर में भी बुलाया जा रहा था और जो आखरी नाम है वह अरविंद केजरीवाल का नाम है। अरविंद केजरीवाल शराब नीति के मद्देनजर उनकी गिरफ्तारी कभी भी किसी रूप में हो सकती है। हालांकि इस मामले में नाम राहुल गांधी का भी था । हैराड मामले में उनसे भी पांच दिन तक पूछताछ हुए है ।लेकिन राहुल गांधी को सीकंजे में लेने से या गिरफ्तारी करने से उनके कद को बहुत बडा कर देना है । इस लिए आप राहुल गांधी का नाम कम कर दीजिए ।
राजनीतिक तौर पर जो घातक नहीं है, उसकी गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए। लेकिन गठबंधन की राजनीति करते रहो। कर्नाटक के भीतर तो कांग्रेस अपने बूते इस दौर में मजबूत हो चली है। इससे पहले तो बीजेपी मजबूत थी । 28 में से 25 सीटें जीती थी। महाराष्ट्र के भीतर शरद पवार के साथ उद्धव आकर खड़े हो गए। कांग्रेस तो पहले से खड़ी थी तो वहां पर भी 23 सीट बीजेपी ने जीती है। बिहार में 17 सीट जीती थी लेकिन तब नीतीश कुमार साथ थे। अब नीतीश कुमार चले गए। उनके साथ जिन्होंने एक भी सीट नहीं जीती, यानी आरजेडी के साथ । बीजेपी ने छत्तीसगढ़ में 9 सीटें जीती हुई थी। हरियाणा में 10 की 10 जीती थी। राजस्थान में 25 में से 24 जीती थी। दिल्ली की 7 में से 7 जीती थी। पश्चिम बंगाल में 42 में से 18 जीती थी। पहला मैसेज है कि जो 207 सीट है । ईनकी फाइल कभी भी खुल सकती है। यह कुल मिलाकर 207 सीटे होती। इसमें से 133 सीट बीजेपी ने जीती, लेकिन गठबंधन का मिजाज बहुत साफ कहता है कि यहां पर 75 सीट से ज्यादा कभी भी पार नहीं कर सकती। बीजेपी खुद से ये सारी चीजें अनुकूल चल गई तो 75 का मतलब बहुत साफ है। एक झटके में 56 सीट का कम हो जाना और उसके बाद तो राजनीतिक तौर पर सीट कम होती है तो और कम होती चली जाएगी । तो क्या इन्हें तोड़ना है ?
सुप्रीम कोर्ट के ईडी चीफ संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल 15 सितंबर तक बढाने से विपक्ष पर इसका क्या असर पड़ता है । यही देखना है ।
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Writer Ridham Kumar
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