Struggle of Mohammad Siraj:
एशिया कप फाइनल में एक ही ओवर में 4 विकेट लेने वाले मोहम्मद सिराज ने पूरे देश का दिल जीत लिया। उनकी तेजगति की लहराती हुई गेंद के सामने कोई भी श्रीलंकाई बल्लेबाज नहीं टिक पाया. उन्होंने इस मैच में कुल 6 विकेट लिए. लेकिन अपनी तेज गेंदबाज़ी से लोगों के दिल जीतने वाले सिराज का भारतीय टीम तक पहुंचने का सफर आसान नहीं था. हर मां-बाप की तरह भारतीय तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज के पेरेंट्स को भी इसी बात की. चिंता थी कि उनका बेटा बड़ा होकर क्या बनेगा. सिराज के बड़े भाई इंजीनिअर है ऐसे में उनकी मां हमेशा चिंता करती थी कि उनके छोटे बेटे का भविष्य क्या होगा. एक शो के दौरान सिराज ने अपने संघर्ष के दिनों के कई किस्से सुनाये थे.
आज उन पर नजर डालते है सिराज ने कहा कि मैं अक्सर कॉलेज से बंक मारकर खेलने चला जाता था। तब मम्मी कहती थी की बड़ा भाई इंजीनियर है, तू कहां आवारागर्दी करता रहता है, पढ़ाई कर ले वरना मुझसे मत कहना कि बड़े भाई को तो इंजीनियर बना दिया और मुझे नहीं पढ़ाया. सिराज ने आगे कहा कि मुझे पापा का बहुत सपोर्ट था. जब वह घर आते तब ही मैं घर जाता था. वरना बाहर ही रहता था. 2013 तक मम्मी मुझे यह बात पूछती रहती. मैं 2016 में रणजी खेला. तब तक मैं हैदराबाद की लीक में खेलता था. मामा के क्लब के लिए खेलते हुए मैंने पहले मैच में 9 विकेट लिए, इसके बाद मामा भी खुश और मम्मी भी खुश. मामा ने मुझे ₹500 का इनाम दिया. सिराज ने आगे कहा पापा ऑटो चला कर रोज़ाना मुझे ₹100 दिया करते थे. उसमें से प्लैटिना में 40 का पेट्रोल डलवाता था. उसे भी मुझे धक्का मारकर स्टार्ट करना होता था जब मैं प्रैक्टिस के लिए जाता तो वहां महंगी कारें आती थी. जब वह चली जाती तो बाइक में धक्का मारकर स्टार्ट करता. मैंने 16 की उम्र में फास्ट बॉलिंग शुरू की, 19 की उम्र तक टेनिस बॉल से ही खेलता रहा. आगे सिराज ने बताया कि ₹100 में जूता कहां का था, इसलिए मैं चप्पल पहनकर ही खेलता था मैंने एक टूर्नामेंट में पहली बार स्पाइक्स वाले जूते पहने. वहां पहली बार रेड बॉल से खेला तब मुझे इनस्विंग ऑउटस्विंग नहीं पता था. पहले ही मैच में मैंने अपनी पेश से बीट किया और 5 विकेट चटका डाले इसके बाद अंडर 23 में मेरा सिलेक्शन हो गया. लेकिन यहां एक झटका लगा जब मुझे डेंगू हो गया. यदि मैं एडमिट नहीं होता तो मैं मर भी सकता था |
जब मुझे प्रैक्टिस के लिए कॉल आया तो मैंने उन्हें बताया कि मुझे डेंगू हो गया है लेकिन पता चला कि अगर मैं प्रैक्टिस पर नहीं गया तो मौका छूट जाएगा. मैं सुबह 5:00 बजे जागा और पापा से कहा कि चलो प्रैक्टिस पर चलते हैं पापा बोले, तू बोल डाल लेगा, मैंने कहा हां चलते हैं. मैंने उस टाइम बॉलिंग बैटिंग फील्डिंग सब की. पता ही नहीं चल रहा था कि मुझे डेंगू भी है। कोई चमत्कार ही हुआ कि जब मैं चेकअप कराने गया तो डेंगू दूर हो चुका था। रातो रात यह कैसे ठीक हुआ ये मुझे समझ में नहीं आया. शायद मम्मी पापा की दुआओं का असर था सिराज ने इस दौरान एक मजेदार किस्सा सुनाते हुए कहा, जब मैं पहली बार आईपीएल में चुना गया तो मैंने तय किया कि मैं अपने परिवार को खुश करने के लिए एक घर खरीद लूंगा. मैंने विराट भैया और टीम को अपने नए घर में भी बुलाया. शुरू में उन्होंने कहा कि पीठ में ऐठन है और वो नहीं आ पाएंगे. लेकिन जब मैंने दरवाजा खोला और विराट भैया सामने थे मैं इतना खुश हुआ कि उनकी ओर दौड़ा और गले से लगा लिया. मैंने सब से कहा, टोली चौकी में विराट कोहली आया है।
ये है मोहम्मद सिराज के संघर्ष के दिनों की एक छोटी सी कहानी.....
Amit Sharma
Writer