Psychology of Love:

Keypoints:
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प्यार क्या है?
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प्यार और रियल प्यार में क्या अंतर है?
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अट्रेक्शन और अटेचमेंट क्या है?
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प्यार, अट्रेक्शन और अटेचमेंट में क्या अंतर है?
आगे बात करेंगे.....
Love, Relationships, Emotion, Intimacy
प्यार क्या है?
प्यार और रियल प्यार में क्या अंतर है?
अट्रेक्शन और अटेचमेंट क्या है?
प्यार, अट्रेक्शन और अटेचमेंट में क्या अंतर है?
आगे बात करेंगे.....
Love, Relationships, Emotion, Intimacyआप सभी ने कभी ना कभी जरूर सुना होगा की सारी दुनिया प्यार पर टिकी हुई है और कभी ना कभी किसी से ना किसी से आपको भी जरूर प्यार होगा। लेकिन मैं आपसे पूछता हूं। क्या आप प्यार के रियल मीनिंग को जानते हैं। आप में से सभी हां में जवाब देंगे और हां मैं भी कहता हूं। आप लोग प्यार के मीनिंग को जानते हैं, लेकिन रियल प्यार के नहीं. रुको रियल प्यार और प्यार में क्या फर्क है। दोनों एक ही तो है, कोई फर्क नहीं है जैसे आत्मा और परमात्मा में कोई भेद नहीं है। लेकिन जब लोगों ने आत्मा शब्द को मैला कर दिया. इसके अनेक अर्थ निकाले. इसका इस्तेमाल यानी सेल्फ के लिए किया गया तो हमारे पूर्वजों ने आत्मा शब्द के लिए मीनिंग के लिए परमात्मा शब्द का उपयोग किया। प्यार और रियल प्यार में भी कोई अंतर नहीं है। बट आप जिसे प्यार मानते हैं वह अटैचमेंट और अट्रेक्शन के अलावा कुछ भी नहीं है आपके लिए प्यार का मीनिंग वही है जो आपने फिल्मों में देखा एक लड़का और एक लड़की मिलते हैं।
दो-चार दिन साथ में घूमते और बैकग्राउंड में म्यूजिक बजता है. दो-चार दिनों बाद दोनों में ब्रेकअप हो जाता है और फिर बैकग्राउंड म्यूजिक बजता है इससे आपके माइंड में एक परसेप्शन बन जाता है। उसे ही आप प्यार समझते हैं या शायर जो अपनी शायरियों में कहते वही सच मान लेते हो. क्या आप इतने पागल है कि रात को दिन कहेंगे और दिन को रात. आप में से बहुत से लोग ये भी कहेंगे की प्यार में पागल होना ही प्यार का दूसरा नाम है तो हमारी सच्चे प्रेमियों से यही दरखास्त है। जल्द से जल्द आप अपना इलाज किसी पागलो के डॉक्टर से करवा लो. प्यार के नाम पर कचरा भरा जा रहा है फिल्मों के नाम पर शायरियों के नाम पर भरा जा रहा है तो आप मुझसे पूछेंगे प्यार क्या है हम घूम फिर कर उसी प्रश्न पैर आ गए? प्यार क्या है प्यार एक अहसास है जो दिल से दिल को होता है इस में आते तो दो लोग है लेकिन हमेशा के लिए एक हो जाते है जैसे दीया और बाती जब दोनों मिलते हैं तो उजाला होता है और कितना भी घना अंधेरा हो हमेशा हमेशा के लिए दूर हो जाता है।
प्यार में द्वऐस खत्म हो जाता है अतः आप जुड़ जाते हैं। यूनिवर्स के हर एक चीज से और महसूस करते है इस दुनिया में हर चीज टुकड़ों में बटी हुई है लेकिन प्यारी है जो परफेक्ट है और यही रियल प्यार है। इसे प्यार को समझने के लिए हमें अट्रैक्शन और अटैचमेंट को जानना होगा क्योंकि अगर मोती पाना है तो समंदर में डुबकी लगानी होगी. जितना ज्यादा हमें यह जानने की जरूरत है कि हमें लाइफ में क्या करना है, उससे भी कहीं ज्यादा यह जानने की जरूरत है कि हमें लाइफ में क्या नहीं करना है. रियल प्यार को जानना जितना जरूरी है उतना ही जरूरी है अटैचमेंट और अट्रैक्शन जानना. लव, अटेचमेंट और अट्रेक्शन तीनो शब्द एक दूसरे से बिलकुल अलग है इनमे जो अंतर है एक कांच के पारदर्शी रूम जैसा है आर पार तो हमें सब दिखाई देता है लेकिन हमें ये पता नहीं चलता की हम कैद है तो नंबर 1 हम अट्रेक्शन को समझेंगे.
अट्रेक्शन जिसे हिंदी में हम आकर्षण कहते है प्रकृति ने हम सभी प्राणियों को ऐसा बनाया है की एक नर एक मादा की तरफ और एक मादा एक नर की तरफ आकर्षित होती है जिससे वह एक दूसरे के साथ संबंध बनाकर रिप्रोडक्शन कर सके बहुत से लोग आकर्षण को कोई ही प्यार समझते है सपोज़ आपने पार्क में एक सुंदर लड़की को देखा आप उसे देखकर आकर्षित हो गए आपके मन ने सोचना शुरू कर दिया। इस लड़की से खूबसूरत दुनिया में और कोई लड़की नहीं है मिल गई मुझे मेरे सपनों की राजकुमारी. यही बनेगी मेरी दुल्हन लेकिन रुको इतने में पीछे से इस लड़की कि दोस्त आती है और मजे की बात यह कि वह पहले वाली लड़की से ज्यादा खूबसूरत होती है और आपने जो 5 मिनट में सपनों का महल खड़ा किया था। धीरे धीरे धीरे उसकी दीवारें गिरने लगती है ऐसा बहुत से लोगों के साथ होता है
हमारा कहने का तात्पर्य सिर्फ इतना है अट्रेक्शन में आप किसी इंसान के शरीर क्या उसके व्यक्तित्व को प्रसन्न करते हैं। दिल से नहीं दिमाग से सोचते हो। इसलिए जब आपको उससे भी ज्यादा सुंदर शरीर, अच्छा व्यक्तित्व नज़र आता है तो आपका अट्रैक्शन शिफ्ट हो जाता है और आपका दिमाग दूसरे पर्सन के बारे में सोचना शुरु कर देता है आकर्षण में आपसे कुछ पाना चाहते हैं और प्यार में आप किसी के होना चाहते है
महात्मा बुद्ध कहते हैं जिस फूल को आप पसंद करते हैं उस फूल को आप तोड़ लोगे लेकिन जिस फूल से आप प्यार करते हो उसे आप कभी नहीं तोड़ोगे उसकी देखरेख करोगे उसे रोज पानी दोगे और उसकी ग्रोथ में उसकी मदद करोगे. यही फर्क होता है प्यार और अटैचमेंट में. इसलिए इतने ब्रेकअप सोते हैं क्योंकि हर कोई कुछ ना कुछ चाहता है लेकिन प्यार में कोई चाहत नहीं होती प्यार में सिर्फ होता है डूबना, मिटना और पिघलना और अपने आपको खोना और जब यह खोना किसी एक व्यक्ति के साथ नहीं बल्कि समस्त के साथ हो तो प्यार ही भक्ति बन जाता है. अब हम आते हैं सेकंड पॉइंट अटैचमेंट पर.
अटैचमेंट इसे हिंदी में लगाओ कहते है लगाओ को दो लोगों के बीच के द्वारा स्थाई भावनात्मक संबंध के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जिसमें प्रत्येक व्यक्ति निकटता चाहता है और लगाओ बाले व्यक्ति की उपस्थिति में सुरक्षित महसूस करता है लेकिन जब लगाओ हद से ज्यादा बढ़ जाता है तो इन सिक्योरिटी का रूप ले लेता है। आपको लगता है आपका पार्टनर आपको छोड़ कर चला जाएगा यही इनसिक्योरिटी आपको डर और शक के एक ऐसे ट्रैप में फंसा देती है जिससे आप अपने पार्टनर की छोटी छोटी बातों को पॉइंट करते या यह भी कह सकते है आप उनकी लाइफ को कण्ट्रोल करने लग जाते हो उनकी लाइफ का हर डिसीज़न लेने लग जाते हो
वह क्या पहनेंगे, कहां जाएंगे, किस्से मिलेंगे यहां तक कि क्या खाएंगे, सब कुछ आप कंट्रोल करने लग जाते हैं और कौन से इंसान को यह पसंद आएगा. कोई उनकी लाइफ तो कंट्रोल कर रहा है उनकी आजादी को छीन रहा है क्योंकि प्यार का तो मतलब ही आजादी होता है प्यार आपको पंख देता है, बाकी सारे बंधनों से मुक्ति के लिए एक आजाद आसमान में उड़ने के लिए.
ओशो कहते हैं। जब दो समझदार लोग प्यार में होते हैं तो वे आजादी की तरफ बढ़ते है प्यार को ना खोया आ जाता है ना पाया जाता है, प्यार को बस जिया जाता है लेकिन अटैचमेंट में इंसान सब कुछ भूल जाता है और अपने रिश्तो के अंत की तरह खुद बढ़ता है क्योंकि लगाओ बंधन है और प्यार मुक्ति.
अंत में बस इतना अगर आपको अटैचमेंट, अट्रेक्शन के ट्रैप से बचना है तो आपको खुद से प्यार करना होगा क्योंकि जिसने पाया है वहीं खोने का गम जानता है प्यार का मतलब ही है खुद को जानना. जब आप खुद को जानते हो तो आप किसी और से नफरत नहीं कर सकते. आप पाओगे कि आप किसी से जुदा नहीं सब आप में और आप सब में हो. “हजार महफिले हों लाख मेले हों जब तक खुद से ना मिले नजर तब तक तुम अकेले हो“
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