Milk you drink , is really milk ? ask yourself today

मीलावटी दूध क्यों बिक रहा है ?
मीलावटी दूध क्यों बिक रहा है ?
पूना में रेहनेवाली रुपाली काकडे अपनी बेटी को दूध दिए बिना नहीं रहती थी। लेकिन उसके लिए जो दूध रुपाली बाजार से खरीद रही थी, उससे बेटी बीमार पड़ रही थी। महीनों तक बच्ची को पेट में गंभीर इंफेक्शन रहा। बहुत सारे मेडिकल टेस्ट हुए। तब जाकर डॉक्टर ने बताया। कि इसकी वजह मिलावटी दूधथा। जब डॉक्टर ने दूध बंध करने को कहाँ । तो दूध बंध करते हि बच्ची की सेहत सुधर गई। उस दौरान रुपाली ने बाजार में उपलब्ध दूध की क्वालिटी के बारे में रिसर्च की और उसे पता चला कि 79 फ़ीसदी दूध मिलावटी है। बेचने के लिए दूध की मात्रा बढ़ाने के चक्कर में किसान या खुदरा विक्रेता दूध में पानी या दूसरी चीजें मिला सकते हैं। इसलिए रुपाली खुद मैदान में उतर आई। पुणे के बाहरी इलाके में उनकी खेती की जमीन है। यहां उन्होंने अपना हाई क्वालिटी टॉक्सिन मुक्त दूध उत्पादन शुरू किया। अपनी रिसर्च से उन्हें पता चला कि शुद्ध पोषण युक्त और सुरक्षित दूध के लिए अच्छी क्वालिटी वाला हरा चारा कितना जरूरी है। मवेशियों के लिए स्वस्थ चारा उगाने के लिए उन्होंने ऑर्गेनिक हाइड्रोपोनिक तकनीक अपनाई। कीटनाशक या खाद के बगैर पौधे मिट्टी के बदले पानी वाले पोषक घोल में उगाए जाते हैं। इस मे आमतौर पर सात दिन लगते है। इसके बाद इसे चारे की तरह तैयार किया जाता है।आमतौर पर हम हर गाय को दो ट्रे चारा देते हैं। जब से हमने अपनी गायों को यह हायड्रोपोनिक चारा देना शुरू किया है। हमें बढ़िया नतीजे मिलने लगे हैं। दूध की मात्रा 20 से 23 फीसदी बढ़ गई है। और दूध की पोषण गुणवत्ता 10 से 11 फीसदी बढ़ गई है। लेकिन अधिकांश डेरी किसान और उनके मवेशियों की कहानी बिल्कुल ही अलग है। भारत में करीब 30 करोड़ मवेशी हर साल करीब 20 करोड़ मेट्रिक टन दूध देते है। 2019 में आए भारत के खाद्य नियंत्रक के एक सर्वे के मुताबिक। हर 10 लीटर दूध में से 1 लीटर दूध विषैले पदार्थों की बढ़ी हुई मात्रा की वजह से संभवत पीने लायक नहीं है। इसके लिए अफलाटॉक्सिन नाम का कार्सिनोजन जिम्मेदार है। अफलाटॉक्सिन चारे में रहता है। अगर आप ज्यादा से ज्यादा हरा चारा देंगे, तो अफलाटॉक्सिन कम होगा। अगर आप ज्यादा पुरानी सामग्री देते हैं। तो अफलाटॉक्सिन नमी की वजह से बढ़ जाता है। रिसर्चर मानते है कि अफलाटॉक्सिन का स्तर भारत में ज्यादा है, लेकिन चारे के स्तर पर ही ईसे काबू किया जा सकता है। ऐसे मुद्दों से निपटने की कोशिश हजारों डेरी फॉर्म से शुरू करनी होगी जैसा कि अशोक मोरे और उनके बेटे संदेश मोरे का है। उन्होंने 8 साल पहले डेरी का बिजनेस शुरू किया लेकिन मुनाफा नहीं मिल रहा था। चारा बहुत महंगा था। अगर आप चारा खरीद कर लाते है। तो डेरी बिज़नेस चलाना बड़ा मुश्किल काम है। वित्तीय तौर पर तो वह केहते है। कि यह आत्महत्या करने जैसा है। आखिर उस चीज पर वह पैसा कैसे लगाए जिससे उन्हें कुछ मुनाफा ही नहीं होगा।
दुधारू पशुओं को बड़ी मात्रा में चारा चाहिए, लेकिन चारागाहे अब खेती की जमीन में बदली जा रही है। लिहाजा ज्यादातर डेरी किसान बाजार से चारा खरीदने लगे हैं। गायों को सूखा और हरा चारा मिला कर दिया जाता है। खर्च बचाने के लिए किसान अक्सर घटिया किस्म का सूखा चारा डालते हैं। पुराने या नमी में रखे सूखे चारे पर फफूंद लगने की ज्यादा आशंका है। यही फफूंद अफलाटॉक्सिन पैदा करती है। जब गाय ऐसा चारा खाती है तो वह विषैला पदार्थ उनके दूध में आ जाता है। मवेशियों के विशेषज्ञ दिनेश भोंसले कहते हैं कि सस्ता चारा डेयरी उत्पादन पर असर डालता है। दुर्भाग्यवश होता यह है कि चाहे कोआपरेटिव हो या प्राइवेट डेरिया जिन्हें किसान दूध बेचते हैं। इन सभी को जो चारा सप्लाई हो रहा है, उसकी क्वालिटी अच्छी नहीं है। वह सस्ता चारा ले रहे हैं, जो जानवर के किसी काम का नहीं है। कम क्वालिटी वाला चारा दूध की मात्रा को भी प्रभावित करता है। उत्पादन और क्वालिटी को बढ़ाने की कोशिश में मौर्य परिवार ने इफीड नाम के स्टार्टअप की सेवाएं ली। कंपनी के ऐप में अलग-अलग नस्लों वाली देसी गायों की आहार और पोषण जरूरतों की लिस्ट तैयार की गई है। उत्पादन बढ़ाने के लिए समाधान भी सुझाए गए हैं।
ज्यादातर किसान इंटरनेट पर सर्च करते हैं। कि चारा कैसे बनाएं, समस्या यह है कि, उन्हें चारे के बारे में ज्यादा कुछ नहीं पता। उन्हें यह भी नहीं पता कि उसे ज्यादा पोषण युक्त बनाने के लिए, उसमें क्या-क्या मिला सकते हैं ? तो सूचना की एक परत यहां उपलब्ध नहीं है। इफीड एप्लीकेशन में एक न्यूट्रीशनल कैलकुलेटर है। जिसके जरिए आप यह बता पाएंगे कि आपके पास क्या है। और वह आपको बताएगा कि उनके खाने में कौन सी चीज की कमी है। इफीड एप्लिकेशन की सूचना कि मदद से प्रि मिक्स मिलाकर मोरे परिवार ना सिर्फ ज्यादा दूध निकाल पा रहा है। बल्कि उनकी क्वॉलिटी भी सुधर गई है। और दूध की सप्लाई भी ज्यादा हुई है। भारत में दूध आहार का अहम हिस्सा है। जो बढ़ती आबादी की पोषण जरूरतों को पूरा करने के लिए जूझ रहे है। मवेशियों को सही चारा मिले तो किसानों का उत्पादन की सुधरेगा और लोगों को भी सही दूध पीने को मिलेगा।
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Writer Ridham Kumar
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