lithium ion -why lithium is a white gold
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Keypoints:
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लीथियम क्या है?
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इस धातू की क्या विशेषता है?
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यह लीथियम किन किन चीज़ों में काम आता है
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भारत को अब लिथियम मिलने से क्या फायदा होगा?
आइये आगे चर्चा करते है....
लीथियम क्या है?
इस धातू की क्या विशेषता है?
यह लीथियम किन किन चीज़ों में काम आता है
भारत को अब लिथियम मिलने से क्या फायदा होगा?
आइये आगे चर्चा करते है....
White goldwill change the destiny of the country:
सफेद सोने के नाम से विख्यात लीथियम से देश की तकदीर बदलने वाली है। भारत के जम्मू क्षेत्र में माँ वैष्णो देवी की तलहटी में लीथियम का अकूत भंडार मिला है। मालूम हो कि मोबाइल, लैपटॉप से लेकर वाहनों की रिचार्जेबल बैटरियों में लीथियम का उपयोग होता है, जिसके कारण यह एक बेशकीमती खनिज है. संभवतः भारत ही नहीं, विश्व के लिए वर्ष 2023 की यह सबसे बड़ी खोजों में से एक है।
हालाँकि खनिज के इस खजाने के बारे में दशकों से अनुमान था, जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जीएसआई) ने 26 वर्ष पहले वर्ष 1995- 97 में भी इस क्षेत्र में लीथियम होने की एक विस्तृत रिपोर्ट सरकार को भेजी थी, लेकिन तब इस पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई थी। इसके प्रकट होने का संयोग इसी वर्ष बना है। विशेषज्ञों के अनुसार 59 लाख टन लीथियम भंडार के साथ भारत के हाथों में जैसे एक खजाना लग गया है।
मालूम हो कि लीथियम एक दुर्लभ संसाधनों की श्रेणी में आता है, जो अभी तक भारत में नहीं मिलता था और भारत को शत-प्रतिशत इसके लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ता था, लेकिन इस खोज के साथ स्थिति पलटती नजर आ रही है। अब इस संदर्भ में देश के आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार होने वाला है। साथ ही निकट भविष्य में भारत पूरे विश्व में व्यापक स्तर पर इसके निर्यात की स्थिति में होगा।
लीथियम के संदर्भ में पहले कुछ रोचक तथ्यों की चर्चा करनी यहाँ प्रासंगिक होगी। आवर्त सारणी (पीरियोडिक टेबल) में यह तीसरा तत्त्व है। यह सबसे हलकी धातु है तथा सबसे कम घनत्व वाला ठोस पदार्थ है, जिसके कारण यदि इसे पानी में डाला जाए तो यह पानी पर तैरने लगता है। लीथियम एक चमकीली, मुलायम धातु है. इस कारण धातु होने के बावजूद इसे चाकू से काटा जा सकता है. रासायनिक दृष्टि से यह अलौह (नॉन फेरिक) क्षारीय धातुसमूह का सदस्य है और अन्य क्षारीय धातुओं की तरह अत्यंत अभिक्रियाशील (रिएक्टिव) है।
पानी में डालने पर लीथियम तीव्र प्रतिक्रिया करता है. यदि इसे हवा में छोड़ दिया जाए तो यह वायु में विद्यमान ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करने लगता है व शीघ्र ही आग पकड़ लेता है. इस कारण इसको तेल में डुबोकर रखा जाता है. अपनी तीव्र अभिक्रियाशीलता के कारण यह प्रकृति में कभी शुद्ध रूप में नहीं मिलता, बल्कि अन्य तत्त्वों के साथ यौगिकों के रूप में पाया जाता है. लीथियम सबसे चमकीले लाल रंग में जलता है. इसलिए आतिशबाजी में लाल चिनगारी के लिए लीथियम को सम्मिलित किया जाता है।
लीथियम का उपयोग मोबाइल फोन, लैपटॉप, डिजिटल कैमरों व इलैक्ट्रिक वाहनों की रिचार्जेबल बैटरियों में किया जाता है. इनमें सबसे अधिक इसका 71 प्रतिशत उपयोग इलैक्ट्रिक वाहनों में किया जाता है. इसके अलावा मैनिक अवसाद व बाइपोलर डिसऑर्डर जैसे गंभीर मानसिक रोगों में भी इसका उपयोग किया जाता है। चीनी मिट्टी के कार्यों में भी इसका उपयोग किया जाता है. एल्युम्युनियम और मैग्नीशियम जैसी धातुओं में भार को कम करने व इनको मजबूती प्रदान करने के लिए लीथियम को मिश्र धातु (एलोय) के रूप में मिलाया जाता है. लीथियम तत्त्व के रूप में उपलब्ध नहीं रहता. इसका उत्पादन लीथियम के अयस्क के विद्युत अपघटन (इलैक्ट्रोलाइसिस) प्रक्रिया के अंतर्गत किया जाता है।
जियोलोजिकल इंडिया (जीएसआई) के उच्चस्तरीय सर्वेक्षण के आधार पर स्पष्ट हुआ है कि माता वैष्णो देवी तीर्थ की तलहटी में बसे रियासी जिले के सलाल गाँव में मिले इस लीथियम भंडार की गुणवत्ता सर्वोत्तम श्रेणी की है. विशेषज्ञों के अनुसार सामान्य श्रेणी में लीथियम का ग्रेड 220 पीपीएम अर्थात पार्ट्स पर मिलियम होता है; जबकि जम्मू-कश्मीर में मिले भंडार का लीथियम 550 पीपीएम से अधिक ग्रेड का है. इसके साथ भारत विश्व के शीर्ष देशों की कतार में शामिल हो गया है।
अभी तक भारत लगभग शत-प्रतिशत लीथियम विदेशों से आयात करता रहा है, इसमें भी लगभग 80 प्रतिशत चीन से आता है, लेकिन अब भारत का यह खजाना चीन के कुल भंडार से तीन गुना अधिक है। मालूम हो कि चिली 93 लाख टन लीथियम भंडार के साथ पहले स्थान पर है, ऑस्ट्रेलिया 62 लाख टन के साथ दूसरे स्थान पर है।
जम्मू-कश्मीर के 59 लाख टन लीथियम भंडार के साथ भारत तीसरे नंबर पर आ गया है। अर्जेंटीना 27 लाख टन भंडार के साथ चौथे स्थान पर, चीन 20 लाख टन भंडार के साथ पाँचवें और अमेरिका 10 लाख टन भंडार के साथ छठे स्थान पर है. विश्व का लगभग 50 प्रतिशत लीथियम भंडारण दक्षिण अमेरिका के अर्जेंटीना, बोलीविया और चिली में पाया जाता है, जिन्हें लीथियम त्रिकोण देश के नाम से जाना जाता है।
मालूम हो कि इस भंडार के मिलने से पहले तक भारत इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए अर्जेंटीना, चिली, ऑस्ट्रेलिया और बोलीविया जैसे लीथियम धनी देशों की खदानों में हिस्सेदारी खरीदने पर काम कर रहा था. इसके लिए बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा खरच करनी पड़ती थी।
भारत ने वित्त वर्ष 2020-21 में लीथियम ऑयन बैटरी के आयात पर 8984 करोड़ रुपये खरच किए थे. इसके अगले वर्ष 2021-22 में भारत ने 13,838 करोड़ रुपये की लीथियम ऑयन बैटरी आयात की थी।
हालाँकि भारत को अभी लंबी दूरी तय करनी है; क्योंकि लीथियम का उत्पादन और रिफाइनिंग एक बेहद कठिन कार्य है, जिसके लिए भारत को आधुनिक तकनीक की व्यवस्था करनी है. भारत का वर्ष 2030 तक का लक्ष्य 30 प्रतिशत निजी कारें, 70 प्रतिशत कमर्शियल वाहन और 80 प्रतिशत दो-पहिया वाहनों को इलैक्ट्रिक बनाने का है. एक अनुमान के हिसाब से वर्ष 2035 तक विश्व की सड़कों पर चलने वाले आधे वाहन इलैक्ट्रिक होंगे. इन इलैक्ट्रिक वाहनों की कीमत कम होगी तथा पर्यावरण की दृष्टि से वे अधिक किफायती होंगे।
जम्मू-कश्मीर प्रांत में लीथियम के अथाह भंडार मिलने के साथ यहाँ के स्थानीय लोग उत्साहित हैं, जिनके जीवन स्तर का कायाकल्प होना सुनिश्चित है. देश के स्तर पर यह खोज एक बड़ी उपलब्धि के रूप में देखी जा सकती है. यह खोज हलकी धातुओं के आयात पर भारत की निर्भरता को समाप्त कर देगी और चिकित्सा के बुनियादी ढाँचे को मजबूत करेगी. इसके साथ इलैक्ट्रिक वाहनों का उपयोग करने की देश की महत्त्वाकांक्षी योजना में सहायता मिलेगी. आजादी के स्वर्णकाल में यह लीथियम खजाना एक दैवी सौगात की तरह है, जिसे महाशक्ति के रूप में उभरते समृद्ध भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक मील के पत्थर के रूप में देखा जा सकता है।
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