Iran violance , Why were 200 pellets shot in the hands of Seema Murad Begi?
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सीमा मुराद बेगी को हाथो में 200 छर्रे क्यों मारे गए ?
सीमा मुराद बेगी को हाथो में 200 छर्रे क्यों मारे गए ?
ईरान में पिछले साल की तरह विरोध प्रदर्शन भले ना हो रहे हो, लेकिन तब जीस तरह प्रदर्शनकारियों का दमन किया गया । उसके जख्म शरीर पे अब भी ताजा है । जीनका दर्द जाने में शायद लंबा समय भी लगे । आज एक ऐसी हि महिला की कहानी सुनते है ।
ईरान में अधिकारियों ने हिजाब ना पहनने वाली महिलाओं के खिलाफ अपनी कार्रवाई एक बार फिर तेज कर दि है । मेहसा अमिनी कि मोत के बाद ईरान में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद । ठीक एक साल बाद ऐसा किया जा रहा है । इरान में लगभग 1 साल पहले मुरालिटी पुलिस ने हिजाब के नियमों को ना मानने के आरोप में मेहसा अमिनी को हिरासत में लिया था । और बाद में हीरासत में हि मेहसा अमीनी की मौत हो गई थी । इसके बाद में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गये थे । मेहसा अमिनी की मौत के बाद हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद मुरालिटी पुलिस ने अपनी कार्रवाई रोक दि थी । सरकार का दावा है कि लोगों की मांग पर पुलिस को दोबारा सड़कों पर उतारा गया है । लेकिन लोगों में इसे लेकर बहोत नाराजगी नजर आ रही है ।
ईरान में कई प्रदर्शनकारी जेलों में भी बंद है । कुछ किसी तरह से ईरान से भागने में कामयाब रहे है । उनमें 26 साल की सीमा मुराद बेगी भी शामिल है । जो अपनी 3 साल की बेटी के साथ तस्करी के खतरनाक रास्तो के जर्रीये पनाहों के लिए किसी तरह इराकी कुर्दिस्तान पहुंची है ।
3 महीने पहले अंधेरे की आड़ में घायल सीमा अपनी 3 साल की बेटी को लेकर पनाह लेने इराकी कुर्दिस्तान की ओर निकल पड़ी । यह ईरान और इराक की सीमाओं के बीच का पहाड़ी इलाका है । ये रास्ता बारूदी सुरंगों से भरा पड़ा है और शिकारी कि तरह ईरानी सुरक्षा बल गोली मारने में जरा भी संकोच नहीं करते है । वहाँ उन पहाड़ों के पीछे ईरान की सीमा है । पिछले कुछ महीनों में ईरान के कई घायल नौजवानों ने पैदल ही सीमा को पार किया है । वह अपने जख्मों के इलाज के लिए इराकी कुर्दिस्तान आये है ।
सीमा मुराद बेगी का कहना है । रास्ते में मेरी बेटी की आवाज ना निकले इस लिए मुझे अपनी बेटी को नींद की गोली देनी पड़ी । 3 घंटे तक हम बारिश और कीचड़ में बेहद थके हुए पैदल चलते रहे । यह मेरे लिए गोली लगने वाले पलों से भी ज्यादा मुश्किल थे ।
पिछले साल सितंबर में 22 साल की कुर्द ईरानी महिला मेहसा अमीनी को तेहरान में मुरालिटी की पुलिस ने इस्लामिक ड्रेस कोड नहीं मानने के आरोप में हिरासत में लिया था । और हिरासत में उनकी मौत के बाद ईरान में बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए थे ।
सीमा का कहना है कि मेहसा की मौत से उस जैसी ईरान की कई महिलाओं का गुस्सा फूट पड़ा था । कई लोगों की गिरफ्तारी और मौत के बावजूद लोग पीछे नहीं हटे । हम लोगों को पूरी उम्मीद थी । 9 महीने पहले बकानी शहर में ईरानी सुरक्षाबलों ने 300 पेलेट छर्रे चलाए थे । जीससे वह बुरी तरह जख्मी हो गई थी ।
एक प्रदर्शन के दौरान सीमा को नजदीक से गोली मारी गई थी । सीमा को गोली लगने से बहुत खून बेह जाने के कारण चक्कर आने लगे थे । उस समय सिर्फ उसकी बेटी का हि ख्याल दिमाग में आ रहा था । उसे लगा वो मरनेवाली है । उस समय उसे उसकी बेटी को अकेले छोड़ जाने का ख्याल ही बहुत तकलीफ देता था ।
सीमा को शहर के एक अस्पताल ले जाया गया । जहां पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंट मौजूद थे । वह सुन सकती थी, नर्से चीख रही थी । इसे खुन चढाना होगा । उस समय इमरजेंसी में भी एक इस्लामिक रिव्यूशलरी गार्ड नर्स पर चिल्ला कर उसे बाहर निकाल रहा था । सीमा सब कुछ देख सकती थी । हाला कि वह बात भी नहीं कर पा रही थी । लेकिन वह बड़ी मुश्किल से केह सकी कि मुझे मरने के लिए मत छोड़ो ।
सीमा के परिवार के लिए उसे किसी दूसरे शहर के प्राइवेट अस्पताल में ले जाना भी आसान नहीं था । डर इस बात का था । कि सीमा को वहां से भी गिरफ्तार किया जा सकता है । सीमा को बचाने के लिए डॉक्टर ने इसे कार एक्सीडेंट से लगी चोट बताया । अस्पताल से निकलने के बाद गिरफ्तारी के डर से वह घर नहीं जा सकती थी । रात में बस दो-तीन घंटे सो पाती थी । उसे सपने में भी गोलियों की आवाज़ डराती थी ।
उनके हाथ मे हाथ में लगभग 200 छर्रे लगे थे । पैलेट गन के निशान अभी भी हाथो में है । ऐसा लगता है जैसे कोहनी में कई पीन चुभोई गई हो । इन जख्मों को 9 महीने हो गये है । लेकिन सीमा अभी भी पैन किलर्स लेती है । उसका दांया हाथ हिल नहीं सकता है । हो सकता है, कि सर्जरी कराने के बाद उसका यह हाथ दोबारा काम करने लगे । सीमा की कोहनी में कई फ्रैक्चर है । फ्रेक्चरो की वजह से कोशिकाओं को बहुत नुकसान पहुंचा है । उनके डॉक्टर को लगता है कि संक्रमण जारी रहा तो हाथ काटना होगा । इराकी कुर्दिस्तान के डॉक्टरों का कहना है कि सीमा को किसी ऐसे देश में देखभाल की पूर्ण जरूरत है जहां बेहतर मेडिकल सुविधाएं हो ।
सीमा के रिश्तेदार जानते थे कि मैं सत्ता के खिलाफ प्रदर्शन कर रही थी । उसे चेतावनी भी दी गई कि अपनी बेटी का ख्याल करते हुए प्रदर्शन मत करो । वह हमेशा कहती थी कि मैं अपनी बेटी के बेहतर भविष्य के लिए ही यह विरोध कर रही हूं । इस इस्लामिक शासन ने महिलाओं की गरिमा और मानवता सब छीन ली थी । इस ना इंसाफी के खिलाफ चुप रहने का विकल्प नहीं था । इस लिए इस सत्ता को खत्म करने के लिए ऐसा करना जरूरी था । और यह एक और उदाहरण है । कि किस तरह महिलाए जुर्म के लिए सत्ता को चुनौती देती है ।
ईरान में अनिवार्य ड्रेस कोड को ना मानने पर महिलाओं के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है । लेकिन ऐसा लग रहा है कि मुरालिटी पुलिस और हिजाब नियमों का विरोध करनेवाली महिलाएं पीछे हटने के लिए राजी नहीं है । इस्लामिक कल्चरल फेस्टिवल का एक वीडियो सामने आया है । इसमें संगीत पर महिलाएं ज़ूम रही है । और अपने हिजाब हवा में लहरा रही है । सत्ता के हिसाब से महिलाओं का ये कदम हद पार कर रहा है । इस लिए लाइट्स बंध करके कॉन्सर्ट खतम कर दिया गया ।
महिलाओं का कहना है । कि वह इन नियमों को हरगिज़ नहीं मानने वाले, उन्हें मालूम है कि आजादी क्या होती है । कई महिलाओं का कहना है कि यह असल में उनकी आजादी की लड़ाई है । मेहसा अमिनी की मौत को 1 साल पूरा होने वाला है । सोशल मीडिया पर कई लोग कह रहे हैं कि वह एक बार फिर सड़कों पर उतरेंगे । लोग अलग-अलग तरीकों से विरोध कर रहे हैं । हो सकता है कि वह इस बार सड़कों पर नारे ना लगा पाए, लेकिन वह अपना विरोध दर्ज करा रहे हैं । और कह रहे हैं कि सत्ता के मनमाने नियम अब नहीं चलेंगे ।
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Writer Ridham Kumar
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