INDIA'S MOON JOURNEY (भारत की चन्द्रमा यात्रा)
INDIA'S MOON JOURNEY /INDIA'S MOON MISSION (भारत की चन्द्रमा यात्रा): THE UNTOLD STORY
पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चंद्रमा है। जिसका निर्माण लगभग 4.50करोड़ वर्ष पहले हो गया है। सभी देशों को स्थान पर जाने के लिए एक अलग ही जोश है। और वहां जाकर नई-नई खोजने को खोज करने में भी बहुत ही उत्सुक है और इसी रेस में हमारा उद्देश्य भारत भी है। अब तो यहां 12 लोग जा चुके हैं और बहुत सारी खोज भी कर चुके हैं इसमें हमारा देश भारत भी पीछे नहीं है ।
भारत के कदम चंद्रमा की ओर -
भारत भी तीन चंद्रायनों के साथ चंद्रमा की यात्रा कर चुका है। जिनमें से दो सफल हुए हैं तथा तीसरा कुछ हद तक सफल हो पाया है।
पहले चंद्रयान का नाम चंद्रयान नहीं था। बल्कि सोमयान था। सन् 1999 में अटल बिहारी बाजपेई की सरकार के कार्यकाल में इसका नया नामकरण चंद्रयान किया गया था।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र🇮🇳(Indian Space Research Organisation)
ISRO की शुरूआत -
यह भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है ।इसका मुख्यालय कर्नाटक राज्य के बंगलौर में स्थित है। इस संस्थान का मुख्य काम भारत के लिये अंतरिक्ष सम्बधी तकनीक उपलब्ध करवाना व उपग्रहों को लॉन्च करना आदि। सन 1962 में एक समिति बनाई गई । जिसका नाम 'अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति' की स्थापना की गई थी। लेकिन 15 अगस्त 1969 को एक संगठन के रूप में इसका पुनर्गठन किया गया और इसे वर्तमान में इसका नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) कहा जाने लगा। भारत का पहला उपग्रह, आर्यभट्ट, 19 अप्रैल 1975 को सोवियत संघ रूस के रॉकेट की सहायता अंतरिक्ष में छोड़ा गया था। इसका नाम महान गणितज्ञ आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था । यह भारत देश के लिए बड़ी उपलब्धि थी।
भारत की चन्द्रमा यात्रा। भारत का मून मिशन। ( MOON MISSION OF INDIA🇮🇳 , India's moon journey)-
विश्व के सभी देश चंद्रमा की ओर जाने लगे तथा नई खोज करने लगे उसी के साथ भारत पर कहां पीछे रहने वाला था। भारत में कम लागत में चंद्रमा पर अपने चंद्रमा को पहुंचने लगा। सबसे ज्यादा खोजें यदि किसी उपग्रह पर हुई है तो वह चंद्रमा है। और इसी के साथ भारत भी चंद्रमा की यात्रा पर निकल पड़ा।
चंद्रयान- 1
भारत ने अपना पहला मानव रहित चंद्र अभियान चंद्रयान-1 लांच किया।
भारत में चांद पर पहुंचने का कार्यक्रम की शुरूआत 2003 में प्रारंभ हो गई।
भारत सरकार ने पहली बार इसरो(ISRO) को भारतीय मून मिशन चंद्रयान-1के साथ स्वीकृति नवंबर 2003 में दे दी।
इसरो ने स्वीकृति मिलने के 5 वर्ष बाद ही
श्री हरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 28 अक्टूबर 2008 को मिशन चंद्रयान प्रथम लांच कर दिया। इसी के साथ भारत का पहला सफर शुरू हुआ।
यह एक ऑर्बिटल मिशन था।जिसका काम केवल चांद की कक्षाओं में चक्कर लगाना था। पहले ही प्रयास में सफल हो पाया।
भारत ने चंद्रयान प्रथम की सहायता से ही चांद पर जल की खोज की। और जल की खोज करने वाला पहला देश भारत बना।
इसकी लागत लगभग 386 करोड़ रूपए आई थीं।
इस चंद्रयान को भेजने में भारत मेंविकसित ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV-XL) रॉकेट का उपयोग किया। चंद्रयान 1 कल्पनासैट के नाम से एक भारतीय मौसम संबंधित उपग्रह पर आधारित था।
इसको चन्द्रमा तक पहुँचने में 5 दिन लगे और चन्द्रमा की कक्षा में स्थापित करने में 15 दिनों का समय लग गया। और यह 30अक्टूबर 2009 तक सक्रिय रहा।
चंद्रयान -2
भारत द्वारा साल 2019 में चंद्रयान-2 लांच किया गया इसका उद्देश्य था कि यह चंद्रमा की सतह पर जाकर विक्रम लैंडिंग की सॉफ्ट
लैंडिंग करना था।
इस चंद्रयान-2 को 22 जुलाई 2019 को GSLV MK 3 रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया। इस यान में ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर को शामिल किया गया।
इसमें लागत लगभग 978 करोड़ रुपए लगे।
जीएसएलवी एमके-III भारत का अब तक का सबसे शक्तिशाली लांचर है, और इसे पूरी तरह से देश के भीतर ही डिजाइन और निर्मित किया गया है।
ऑर्बिटर चंद्रमा की सतह का निरीक्षण करेगा और पृथ्वी और चंद्रयान 2 के लैंडर - विक्रम के बीच संचार का काम करेगा।
लैंडर को चंद्रमा की सतह पर भारत की पहली सॉफ्ट लैंडिंग करने के लिए इसको डिज़ाइन किया गया था।
रोवर एक 6-पहियों वाला, AI-संचालित वाहन था जिसका नाम प्रज्ञान रखा गया।
चंद्रयान 2 के चंद्रमा की सतह पर पहुंचने से कुछ समय पहले ही संपर्क टूट गया । काफी
कोशिश करने के बाद भी संपर्क नहीं हो पाया।
चंद्रयान -3
भारत के चंद्रयान 2 के असफल होने के बाद भारत ने बहुत ही कम समय में कम लागत में अच्छे संसाधनों से चंद्रयान 3 का निर्माण किया।
चंद्रयान 3 को ISRO के द्वारा 14 जुलाई 2023 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से रॉकेट LVM -3M4 से लांच किया। इसका वजन लगभग 3900Kg. था।
इसकी लागत लगभग 615 कारोड़ रुपए आई।
चंद्रयान 3 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा गया। । और चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराई गई। इस दौरान 10 चरणो में मिशन पुरा हुआ। इसका उद्देश्य मिट्टी पत्थर तथा खनिजों का अध्ययन करना। इसमें चंद्रयान-2 के समान एक लैंडर और एक रोवर है, लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं है।
यह यान चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास की सतह पर 23 अगस्त 2023 को भारतीय समय केअनुसार शाम को 06 बजकर 04 मिनट के आसपास सफलतापूर्वक उतर चुका है। इसी के साथ भारत चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला और चंद्रमा पर उतरने वाला चौथा देश बन गया। इस प्रकार भारत का Moon Mission या India's moon journey अबतक काफी हद तक सफल रहा।
आज के इस आर्टिकल में INDIA'S MOON JOURNEY /INDIA'S MOON MISSION (भारत की चन्द्रमा यात्रा)के बारे में बताया है।तथा भारत से चंद्रमा तक के मिशन के बारे में भी बताया है।उम्मीद करता हु कि आपको यह लेख पसंद आया होगा।
Q1.पहला चंद्रयान कब गया था?
Ans.अक्टूबर 2008
Q2.चांद पर कौन से 4 देश उतरे?
Ans.भारत से पहले रूस, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन ।
Q3. क्या चांद पर हवा चलती है?
Ans.चंद्रमा में पर्याप्त हवा नहीं है ।
Q4.चंद्रयान 3 से क्या फायदा है?
Ans. भारत में विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र को प्रोत्साहन मिलेगा।
Q5.चंद्रयान 2 कहां है?
Ans.चंद्रयान-2 ऑर्बिटर 100 किमी (62 मील) की ऊंचाई पर ध्रुवीय कक्षा में चंद्रमा की परिक्रमा कर रहा है।
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