Homeopathy - History of Homeopathy
होम्योपैथी का प्रारंभ जर्मनी के एक मशहूर डॉक्टर हैनीमैन ने किया था।होम्योपैथी एक ऐसा चिकित्सा विज्ञान है जिसमें बीमारी का इलाज ऐसी दवाओं द्वारा किया जाता है जिनका परीक्षण पूर्ण स्वस्थ मनुष्यों पर किया जा चुका हो। अतः यह चिकित्सा पद्धति निरापद एवं अकाट्य है।
होम्योपैथी का मूल सिद्धांत प्रकृति का मूल सिद्धांत है ।हम सब जानते हैं कि लोहा ही लोहे को काटता है और गर्मी को गर्मी से ही दूर किया जा सकता है। होम्योपैथी चिकित्सा इसी सिद्धांत पर आधारित है।
होम्योपैथी के सिद्धांत के अनुसार किसी औषधि को लेने से स्वस्थ शरीर में जो लक्षण पैदा हो जाते हैं, किसी भी रोग में अगर वही लक्षण पाए जाएं तो वही औषधि उन लक्षणों को समाप्त कर शरीर को स्वस्थ कर देगी ।उदाहरण के तौर पर जब कोई व्यक्ति भांग खा लेता है तो उसे मानसिक भ्रम हो जाता है ।1 मिनट 1 घंटे के बराबर लगने लगता है , पास की चीजें मीलों दूर नजर आती हैं ,हंसना शुरु करता है तो हंसता ही जाता है ,बोलना शुरू करता है तो बोलता ही चला जाता है ।अपने आप को किसी राजा-महाराजा से कम नहीं समझता है ।पेशाब में जलन व बूंद-बूंद कर आने लगती है। सिर दर्द हो जाता है । होम्योपैथी के सिद्धांत के अनुसार यदि किसी रोग में यह लक्षण पाए जाएं तो भांग से बनी होम्योपैथिक औषधि Canbis Indica (कैनबिस इंडिका) इन लक्षणों को समाप्त कर आदमी को रोग मुक्त कर देगी।
इस प्रकार से स्पष्ट है कि होम्योपैथी में लक्षणों के आधार पर ही रोगी का इलाज किया जाता है । रोग के नाम का कोई महत्व नहीं होता है ।औषधियों के लक्षण जानने के लिए स्वस्थ मनुष्य के ऊपर औषधि का परीक्षण किया जाता है जिसे औषधी परीक्षण कहते हैं। होम्योपैथिक औषधियां के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करने के लिए होम्योपैथिक की मैटेरिया मेडिका का अध्ययन किया जाता है।
महाशिवरात्रि के उपाय , बेर, काली मिर्च और धतूरे का...
Hello Friends ready to see the IPHONE 17 & 17...
Top Highlight About Samsung S24FE Samsung Galaxy S24 FE...