HAPPY DURGA PUJA, JAY MAA BRAHMACHARINI 2023
तीन हजार वर्षों तक वे टूटे हुए बिल्व पत्रों का सेवन करती रहीं और भगवान शंकर की पूजा करती रहीं। इसके बाद, वे खाने पीने से भी वंचित रहने लगीं और कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार तप करती रहीं। उन्होंने पत्तियों के सहारे आहार छोड़ दिया, इसके कारण उन्हें 'अपर्णा' कहा गया। इनकी अत्यधिक तपस्या ने देवताओं, ऋषियों, सिद्धगणों और मुनियों को प्रभावित किया और उन्होंने उनकी अत्यधिक पुण्य कृत्य की प्रशंसा की।
ब्रह्मचारिणी के तपस्या ने हमें यह सिखाता है कि जीवन की हर कठिनाई में हमें हौसला बरकरार रखना चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से हमें सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं, और हमारी जीवन में उत्तराधिकारी सफलता आती है।
Happy Navratri
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दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
ज्ञान की देवी मां ब्रह्मचारिणी की कथा
नवदुर्गा के दूसरे स्वरूप, मां ब्रह्मचारिणी का प्रेरणास्पद किस्सा वाकई दिल को छू लेता है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा से हमें ज्ञान और वैराग्य की दिशा में एक नई ऊँचाई प्राप्त होती है। इस कथा में मां का महत्वपूर्ण योगदान है, जो हमें आत्मा की अनमोल धरोहर का महत्व सिखाता है।
मां ब्रह्मचारिणी का नाम तप की मालिका से आता है, और यह देवी का रूप अत्यंत पवित्र और गम्भीर है। उनके दाएं हाथ में जप माला और बाएं हाथ में कमंडल दिखाई देते हैं, जो हमारी आध्यात्मिक साधना की मार्गदर्शन करते हैं।
पूर्वजन्म में इस मां ने हिमालय के घर में पुत्री के रूप में जन्म लिया था, और नारदजी के उपदेश से भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए उन्होंने अत्यंत कठिन तपस्या की थी। इस तपस्या के माध्यम से वे 'तपचारिणी' और ब्रह्मचारिणी के रूप में प्रसिद्ध हुईं। उन्होंने एक हजार वर्षों तक सिर्फ फल और फूलों को भोजन करते हुए बिताया, और सौ वर्षों तक केवल धरती पर रहकर आहार लिया। कुछ दिनों तक उन्होंने कठिन उपवास किया और खुले आकाश के नीचे बरसात और धूप के कठिनाइयों का सामना किया।
तीन हजार वर्षों तक वे टूटे हुए बिल्व पत्रों का सेवन करती रहीं और भगवान शंकर की पूजा करती रहीं। इसके बाद, वे खाने पीने से भी वंचित रहने लगीं और कई हजार वर्षों तक निर्जल और निराहार तप करती रहीं। उन्होंने पत्तियों के सहारे आहार छोड़ दिया, इसके कारण उन्हें 'अपर्णा' कहा गया। इनकी अत्यधिक तपस्या ने देवताओं, ऋषियों, सिद्धगणों और मुनियों को प्रभावित किया और उन्होंने उनकी अत्यधिक पुण्य कृत्य की प्रशंसा की।
ब्रह्मचारिणी के तपस्या ने हमें यह सिखाता है कि जीवन की हर कठिनाई में हमें हौसला बरकरार रखना चाहिए। मां ब्रह्मचारिणी की कृपा से हमें सभी सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं, और हमारी जीवन में उत्तराधिकारी सफलता आती है।
नवरात्र के दूसरे दिन, हम मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करते हैं और उनके प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा का प्रकट करते हैं। यह पूजा मंगल गृह के स्वामी की कृपा को प्राप्त करने में हमारी सहायता करती है, और हमारी कुंडली में मंगली दोष का प्रभाव कम करती है।
जय मां ब्रह्मचारिणी । जय मां दुर्गा !