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ट्विटर पर ट्रेंड करनेवाली हलाल चाय का सच क्या है ?
चाय पर हंगामा
हलाल चाय क्या होती है ?
ट्विटर पर ट्रेंड करनेवाली हलाल चाय का सच क्या है ?
चाय पर हंगामा
हलाल चाय क्या होती है ?
एक सवाल पूछता हूं आप से चाय शाकाहारी है या मांसाहारी ? यह बात सुनकर हमे भी हँसी आ रही है । लेकिन उससे ज्यादा हैरानी तब हुई । जब यह वायरल वीडियो देखा । हँसिये मत क्योंकि चाय को भी अब धर्म के नाम पर बांट दिया गया है । यह बात सुनना भी कितना अजीब है कि चाय को भी धर्म से जोडना शुरू कर दिया है । देश में शिक्षा, धर्म, रंग, गाने, खाना, फिल्मे सब कुछ तो पेहले हि धर्म के आधार पर बट चुका है । लेकिन अब चाय को लेकर भी इस तरह की बाते उठ रही है ।
एक महाशय ने चाय पर भी कितना बड़ा हंगामा खडा कर दिया । उन्होंने रेल्वे कर्मचारी को धर्म, सावन, पुजा-पाठ, आस्था, का पाठ पढा दिया । सोच के हैरानी हुई ना देश मैं ये चल क्या रहा है ?
दरअसल सोश्यल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल होने लगा । जो ट्रेन के अंदर का है । जीसमे यात्री और रेल्वे कर्मचारी के बीच में तीखी बहस दिखाई दे रही है । जीसमे यात्री ने रेल्वे कर्मचारी से पुछा ये हलाल सेटिस्फाइड चाय होती क्या है ? इसे सावन में क्यों परोसा जा रहा है ?
पूनम नाम के ट्विटर एकाउंट से यह वीडियो अपलोड किया गया है । मामला यह है कि एक महाशय ट्रेन में सफर कर रहे थे । जैसे कि ट्रेन में चाय आती है । वैसे ही चाय आयी । जैसे ही उन्हों ने चाय का पेकेट देखा कि उन्हों ने हंगामा मचाना शुरू कर दिया । क्योंकि चाय के पेकेट पर हलाल सेटिस्फाइड लिखा हुआ था । यही हलाल सेटिस्फेक्शन हि हंगामे का कारण बन गया । महाशय ने रेल्वे कर्मचारी से सवाल पूछने शुरू कर दिये । रेल्वे कर्मचारी को सफाई देने पर मजबूर किया गया । रेल्वे कर्मचारी बार बार समजा रहा था । चाय 100% शुध्ध शाकाहारी है । यात्री ने कहाँ सावन का महीना चल रहा है और हलाल सेटिस्फाइड चाय पीलायी जा रही है । आप समजाईये हलाल सेटिस्फाइड क्या है ? हमे पता होना चाहिए। हम ISI प्रमाण पत्र जानते है । दूसरे सर्टिफिकेशन भी जानते है । आप हमको बताईये ये हलाल प्रमाण पत्र होता क्या है ? यह बतायेंगे तब में चाय पीऊंगा ।
अब सवाल यह है कि हलाल सेटिस्फाइड का मतलब क्या है ? वीडियो में देखा जा रहा है । रेल्वे कर्मचारी यात्री को समजाने कि पूरी कोशिश कर रहा है । उसने पेकेट को दिखाते हुए कहाँ, देख लीजिए सर यह गर्म पानी में मीलाकर
पीया जाता है । चाय वेज हि होती है । यह हलाला सेटिस्फाइड मसाला प्रि मिक्स है ।
इस वीडियो के आने से सोश्यल मीडिया पर नयी बहस छिड गई है । रेल्वे को बयान जारी करना पड़ा कि हम आंतर राष्ट्रीय मापदंडो का पालन करते है । और उसी हिसाब से
हम सर्विस प्रोवाइड करते है ।
आइये अब हम जानते है कि हलाल सेटिस्फाइड का मतलब क्या है ? हलाल शब्द मांसाहार के लिए किया जाता है ।
जैसे मुस्लिम समुदाय इस्लामी आयत पढते हुए हलाल किये हुए प्राणी का ही मांस खाते है । जब कि हिंदू, शिख, ईसाई आदि गैर मुस्लिम समुदायो में झटका यानी कि एक ही झटके में सर काटनेवाला मांस खाया जाता है । लेकिन हलाल खाने की मनाई नही है । इस कारण ज्यादातर चीजो पर हलाल का सर्टिफिकेट होता है । जीससे मुस्लिम समुदाय उस सर्टिफिकेट को देखकर उसे खाये । हाला की झटके का सर्टिफिकेट कोई अलग से नही होता है । यह भी गौर करने की बात है कि हलाल कि प्रक्रिया केवल मुस्लिम शख्स ही कर सकता है । कोई गैर मुस्लिम नही । ऐसे में इस सर्टिफिकेट से दलितों को मांस का कारोबार करने में दिक्कत होती है । इससे दलित समाज के लोग अपना मांस कंपनीयो में नही बेच पाते है । उनके पास हलाल सर्टिफिकेट नही होता है । जब कि वह भी उसी तरह से मांस काटते है । और उनके धंधे में नुकसान होता है । लेकिन आज के समय में हलाल सर्टिफिकेट मांसाहारी वस्तु से आगे निकलकर कॉस्मेटिकस गैर मांसाहारी वस्तुए खाद्य पदार्थों चाय एवं अन्य उत्पादों पर भी आने लगा है । सीधे शब्दों में कहे तो यह खाध पदार्थ इस्लामी नियम कायदों के हिसाब से इस्तेमाल करने लायक है । भारत में कुल छह संस्थाए हलाल सर्टिफिकेट जारी करती है । जिसमें सब से ज्यादा माँग जमीयत उलेमा ऐ महाराष्ट्र और जमीयत उलेमा ऐ हिंद ट्रस्ट के प्रमाण पत्र कि है । यह प्रमाण पत्र भेदभाव को बढ़ावा देने वाला भी है । ऐसा लोग बताते है । भारत में सभी धर्मो के लोग रेहते है । ऐसे में जैन, बोद्ध, शिख, हिंदू भी अपने धर्म के प्रमाण पत्र मांगने लगेंगे तो क्या होगा ? यह सवाल है । देश में पहली बार 1974 में हलाल सर्टीफिकेशन मांस के लिए शुरू किया गया था । 1993 तक इसे सिर्फ मीट प्रोडक्ट पर ही लागु किया गया था । फिर गैर मांसाहारी प्रोडक्ट पर भी इसका प्रयोग होने लगा । पिछले साल 2022 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी । जीसमे हलाल सर्टिफिकेशन को पूरी तरह बेन करने की मांग की गई थी । यह भी कहाँ गया था कि 15% आबादी के लिए 85% आबादी के मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा है । इस लिए इस पर बैन लगाया जाए । लेकिन यह लडाई हमारी प्यारी चाय तक पहोंच जायेगी किसने सोचा था ।
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Writer Ridham Kumar
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