Finally today the central government passed the bill to control the transfer of officers.

आखिरकार आज केंद्र सरकार ने अधिकारीयों के तबादले पर नियंत्रण रखने के लिए किया बिल पास |

नई दिल्ली-२६/07/२०२३
सूत्रों के मुताबिक़ आज मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को बदलने के लिए एक विधेयक को मंजूरी दे दी जिसके अनुसार अधिकारियों के तबादले का अधिकार अब राज्य सरकार को दिया जाना था और केंद्र का ऑफिसर पोस्टिंग मे कोई दखल नहीं होता, अब ये बिल इस आदेश को पलटने के लिए संसद मे पेश होगा |
11 मई को सत्ता संघर्ष मामले का निपटारा करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली सरकार का सेवाओं और तबादलों पर नियंत्रण होना चाहिए और उपराज्यपाल को राज्य सरकार के फ़सलों को मानना होगा |
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश इस तर्क से असहमत थे कि दिल्ली सरकार के पास सेवाओं पर फ़सलों का कोई अधिकार या शक्ति नहीं है और उन्होंने कहा था कि केवल सार्वजनिक व्यवस्था, पुलिस और भूमि को उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा गया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को अरविन्द केजरीवाल ने अपनी सरकार की जीत बताया था और कहा था कि अब जब अधिकारियों की पोस्टिंग उनकी सर्कार के कण्ट्रोल मे होगी तब ये अधिकारी ज्यादा ईमानदारी से काम करेंगें और राज्य सर्कार के आदेश का पालन करेनेग्न जो फिलहाल होता नज़र नहीं आता |
लेकिन केंद्र को सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश नागवार गुज़रा और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कुछ ही दिनों के बाद केंद्र ने इस अध्यादेश को रद्द करने के लिए बिल लाने की घोषणा कर दी
यह अध्यादेश दिल्ली में भाजपा और अरविंद केजरीवाल सरकार के बीच एक और टकराव का कारण बन गया, और आप सरकार ने इसके खिलाफ कांग्रेस समेत समूचे विपक्ष को एकत्रित कर इस अध्यादेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।
केंद्र सरकार अध्यादेश तब लाती है जब संसद सत्र ना चल रहा हो परन्तु उसे अध्यादेश को विधायिका द्वारा छह सप्ताह के भीतर पारित कराना होता है |
फिलहाल संसद का मानसून सत्र चल रहा है लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि सरकार इस विधेयक को कब पेश करने की योजना बना रही है।
अध्यादेश में दिल्ली, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, दमन और दीव और दादरा और नगर हवेली (सिविल) सेवा (DANICS) कैडर के ग्रुप ए अधिकारियों के स्थानांतरण के लिए एक राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण स्थापित करने का प्रावधान है। यह निकाय को उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का अधिकार भी देगा।
आप सरकार का ये दावा है कि केंद्र के इस अध्यादेश ने उच्चतम न्यायालय के फैसले की अवहेलना की है जिसने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था।
11 मई के सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से पहले, दिल्ली सरकार के सभी अधिकारियों का स्थानांतरण और पोस्टिंग उपराज्यपाल के कार्यकारी नियंत्रण में था।
सुप्रीम कोर्ट, जो अब अध्यादेश के खिलाफ आप सरकार की चुनौती पर सुनवाई कर रहा है, ने पिछले हफ्ते कहा था कि पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस बात की जांच करेगी कि क्या संसद सेवाओं पर राज्य का नियंत्रण हटाने के लिए कानून बना सकती है। हालाँकि, उसने अध्यादेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
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Post BY – Rakesh kumar
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