दुर्गा पूजा का आयोजन विशेष रूप से देवी दुर्गा की पूजा के लिए होता है, जिन्हें मां के रूप में मान्यता है। दुर्गा मा की मूर्ति को एक खास पूजा स्थल पर स्थापित किया जाता है, और इसे नौ दिनों तक पूजा जाता है। इस अवधि के दौरान, लोग मां दुर्गा के आगमन का स्वागत करते हैं और उनकी पूजा आदर्शत तरीके से करते हैं।
दुर्गा पूजा के दौरान, मंदिर और पंडालों को भव्यता से सजाया जाता है, और इनमें विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक प्राथमिकताएं दी जाती हैं। मूर्तियों के चार आराध्य देवताओं - लक्ष्मी, सरस्वती, कर्तिकेय, और गणेश के साथ ही दुर्गा मा की पूजा की जाती है।
दुर्गा पूजा के त्योहार के दौरान, समाज के विभि वर्गों के लोग एक साथ आकर्षित होते हैं और सांस्कृतिक धरोहर को याद करते हैं। पूजा के पर्व के दौरान, असम्भावित रूप से बड़े आकर्षक पंडाल बनाए जाते हैं, जिनमें लक्ष्मी, सरस्वती, कर्तिकेय, और गणेश की मूर्तियां रखी जाती हैं।
दुर्गा पूजा के दौरान, खास रूप से भव्य शोभायात्राएँ और प्रक्रियाएँ की जाती हैं। इनमें भव्य दिखावा और पश्चिम बंगाल की सांस्कृतिक धरोहर का प्रदर्शन किया जाता है।
दुर्गा पूजा के अवसर पर, लोग एक-दूसरे को खुशियों की शुभकामनाएँ देते हैं और आपसी मित्रता को मजबूती से बनाते हैं। यह त्योहार हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है और भारतीय समाज में सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।
15 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी.
नवरात्रि पर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त (Navratri 2023 kalash sthapna shubh muhurat)
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को यानी पहले दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. ऐसे में कलश स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त इस साल मिनट ही रहेगा.
घटस्थापना तिथि - रविवार 15 अक्टूबर 2023
कालस्थापन पूजा विधि को अनुसरण करते
समय, पहले तो यजमान को निम्नलिखित वस्त्र
और सामग्रियों की आवश्यकता होती है:
1. एक शुद्ध कपड़ा (धोती और उपरवास्त्र)
2. जल कलश
3. श्रीफळ (नारियल)
4. अष्टद्रव्य (गंगा जल, धन्य, तिल, मूंग, माश,
उड़द, चावल, घी)
5. मंगलसूत्र
6. अगरबत्ती और धूप
7. पुष्पमाला 8. पूजा की थाली
9. मूर्तियाँ (जिनकी कलशस्थापना करनी है)
कालस्थापन पूजा की विधि:
1. पूजा का आयोजन एक शुभ मुहूर्त में करें। 2. पूजा के लिए साफ़ सुथरा स्थान चुनें और उसे
स्वच्छ करें। 3. श्रीफळ (नारियल) को पूजा स्थल पर रखें
और उसे देवता की मूर्तियों के सामने बढ़ा दें।
4. पूजा की थाली पर अष्टद्रव्य रखें और धूप-अगरबत्ती जलाएं।
5. मंगलसूत्र को श्रीफळ के ऊपर स्थापित करें
और उसे भगवान की मूर्तियों के सामने बांधे । 6. अब जल कलश को धन्य से पूर्ण करें और उसे
पूजा स्थल पर स्थापित करें। 7. पुष्पमाला को अपने हाथों में लें और मंगलसूत्र
की मूर्ति के चारों ओर फेरें ।
7. पुष्पमाला
8. पूजा की थाली
9. मूर्तियाँ (जिनकी कलशस्थापना करनी है)
कालस्थापन पूजा की विधि:
1. पूजा का आयोजन एक शुभ मुहूर्त में करें।
2. पूजा के लिए साफ़ सुथरा स्थान चुनें और उसे स्वच्छ करें।
3. श्रीफळ (नारियल) को पूजा स्थल पर रखें और उसे देवता की मूर्तियों के सामने बढ़ा दें। 4. पूजा की थाली पर अष्टद्रव्य रखें और धूप-अगरबत्ती जलाएं।
5. मंगलसूत्र को श्रीफळ के ऊपर स्थापित करें और उसे भगवान की मूर्तियों के सामने बांधें।
6. अब जल कलश को धन्य से पूर्ण करें और उसे पूजा स्थल पर स्थापित करें।
7. पुष्पमाला को अपने हाथों में लें और मंगलसूत्र की मूर्ति के चारों ओर फेरें ।
8. ध्यान से मंत्रों के साथ देवता की मूर्तियों की पूजा करें और उन्हें पुष्पमाला से चढ़ाएं।
9. अष्टद्रव्य को आरती के साथ देवता के सामने बढ़ाएं और फिर प्रसाद बांटें।
इसके बाद, कालस्थापन पूजा पूरी हो जाती है, और यह एक शुभ शुरुआत की ओर कदम बढ़ाने का अवसर प्रदान करती है।
Write. Priti Kumari