Corruption , How harmful can corruption be to the economy of a country?

किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए भ्रष्टाचार कितना नुकसानदेह हो सकता है ?
किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए भ्रष्टाचार कितना नुकसानदेह हो सकता है ?
जॉर्जिया 2000 के दशक के शुरुआती वर्षों में सबसे करप्ट देश था। वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि किसी देश की अर्थव्यवस्था के लिए भ्रष्टाचार कितना नुकसानदेह हो सकता है। दुनिया के कई देश इस मुसीबत से लड़ रहे है। लेकिन ये देश कर भी क्या सकते हैं ?
क्या किसी देश के लिए भ्रष्टाचार खत्म करना संभव है ?
पेहला चरण भ्रष्टाचार मंजूर नहीं,
जब आप एक ऐसे समाज में बडे होते है जहां पर हर तरफ भ्रष्टाचार होता है । शुरुआत से लेकर आखिर तक, इसका असर हर तरफ दिखाई देता है। इकीसवीं सदी के पहले दशक में जॉर्जिया में भ्रष्टाचार ने हर तरफ पैठ बनाई हुई थी सरकारी नौकरियों में वेतन बहुत कम था। और यह माना जाता था कि कर्मचारी इसकी भरपाई रिश्वत लेकर करते थे। और इसकी चोट आम लोगों पर पड़ती थी। आप सड़क से गुजरते और कोई पुलिस वाला आपकी गाड़ी रुकवाता था। वह कहता कि आपके पास पर्यावरण सर्टिफिकेट नहीं है। आपको अपना लाइसेंस जमा कराना होगा और आप कहते कि क्या मैं इसलिए जुर्माना भर सकता हूं ? तो वह तैयार हो जाता था। ज्योर्जिया में 2003 तक हालात ऐसे हो गए कि हर कोई परेशान होता गया ।
जब लोग मतदान केंद्र पर पहुंचे तब उनका नाम लिस्ट में नहीं था । और सालो पहले मेरे हुए लोगो का नाम लिस्ट में था । तब चुनाव में धांधली की गई थी। उस साल चुनाव में हुई धांधली के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आये। प्रदर्शन की अगुवाई पूर्व कानून मंत्री मिखाइल साकाशविली कर रहे थे। 2 साल पहले वह तब चर्चा में आए थे। जब उन्होंने कैबिनेट मीटिंग में तस्वीरें लहराते हुए आरोप लगाया था कि सरकारी अधिकारी जनता के पैसे से आलीशान इमारतें खरीद रहे हैं। अब वो एक अलग पार्टी बना चुके थे। 2003 में वो अपने समर्थकों के साथ दाखिल हो गये। तत्कालीन राष्ट्रपति भाग गये। दो महीने बाद नए सिरे से चुनाव हुए और मिखाइल साकाशविली कि गठबंधन को 96% वोट मिले। इस के बाद जॉर्जिया में सुधार का दौर शुरू हुआ इस काम में युवाओं की टीम को लगाया गया।
दूसरा चरण नई शुरुआत।
जब मिखाइल साकाशविली पहली बार मंत्रालय गये और उन्होंने देखा कि वहाँ की इमारत टूट रही थी, बडी अजीब सी गंध आ रही थी, सीवेज सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहा था। जो उन दिनों में बड़ी आम बात थी। साल 2004 में नई सरकारने युवा प्रतिभाओं को साथ जोडा। सरकार ने बताया कि अगले नौ महीनों में उन्हें कुछ ऐसा कर दिखाना है। जिससे देश में बदलाव दिखे। नई सरकार को पता था कि अपनी छबी बचाने के लिए उसे तेजी से कदम उठाने होंगे। उन्होंने सुधार की शुरुआत ट्रैफिक पुलिस से करने का फैसला किया। कि जब तक आम लोग रोज की जिंदगी में भ्रष्टाचार का सामना करते रहेंगे। तब तक उन्हें यकीन नहीं होगा कि सरकार इस मुद्दे पर कुछ कर रही है। जॉर्जिया में ट्रैफिक पुलिस रिश्वत लेने के लिए बदनाम थी। सरकार के सामने प्रश्न यह था कि जो लोग सारी जिंदगी रिश्वत वसूलते रहे हो, उन्हें रास्ता बदलने के लिए तैयार कैसे किया जाए ? पुलिस में सुधार मुश्किल था। इस लिए सही फैसला यह था कि पुरी फोर्स को हि बर्खास्त कर दिया जाए और नए सिरे से शुरुआत की जाए। रातोंरात जॉर्जिया की पूरी ट्रैफिक पुलिस फोर्स यानी 16,009 लोग बर्खास्त किये गये। सरकार ने और उनकी टीम ने नए लोगों को नियुक्त किया। फोर्स में लिए लोगों की संख्या कम थी। और उन्हें बेहतर वेतन देना संभव था। नए नियुक्त हुए लोगों के लिए कोड ऑफ कंडक्ट यानी की नियमावली तय कि गई। अगर किसी को भी रिश्वत लेते पकड़ा जाता तो उसे तुरंत बर्खास्त कर दिया जाता था। इसका असर भी दिख रहा था। पुलिस को लेकर लोगों की धारणा बदल गई। क्योंकि वह ऐसा कुछ देख रहे थे। जिसकी कभी उम्मीद नहीं थी। पुलिस के जवान विनम्र थे। फोर्स में काफी संख्या में महिलाएं थी। पुलिस कर्मी चुस्त-दुरुस्त थे। ट्रेफिक पुलिस में सुधार के जर्रीये सरकार ने एक नया ब्रांड तैयार किया। उसके बाद सरकार ने पुलिस के दूसरे हिस्सों का भी सुधार किया। यह भी कहा जाता है कि दूसरे पुलिसकर्मी कहीं ज्यादा भ्रष्ट थे। उनमें से कई गैंगस्टर से थे। सरकार ने करीब 30,000 लोगों को हटा दिया। इसके एवज में उन्हें ठीक-ठाक रकम दी गई। हटाये गये लोगों में से अधिकतर ने फैसला चुप चाप मंजूर कर लिया। यह सरकार का सर्वश्रेष्ठ फैसला था। दरअसल भ्रष्ट तंत्र वायरस की तरह होता है। अगर वक्त मिलता है तो वह खुद को नई स्थिति के मुताबिक ढाल लेते हैं। और फैलने लगते है। सरकार को ना सिर्फ तेजी से कदम उठाना था। बल्कि देश के हर मंत्रालय में इन्हीं तरीको से नीति को लागू करना था। ऐसा नहीं हो सकता कि आप किसी एक क्षेत्र में सुधार करे और दूसरे को छोड़ दें। अगर आप पुलिस में सुधार करते हैं तो न्याय व्यवस्था में भी सुधार करना होगा। शिक्षा हेल्थ केयर और टैक्स ढांचे में भी सुधार करना होगा।
तीसरा चरण संपर्क को लेकर सतर्कता
जॉर्जिया की कामयाबी में हायर एजुकेशन प्रणाली में किया गया सुधार था। प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए 15, 20 से $30,000 देने होते थे। फिर अपनी पसंद का ग्रेड हासिल करने के लिए भी पैसे देने होते थे। पुलिस फोर्स की तरह ही यहां भी हर किसी को बर्खास्त कर दिया गया। उसके बाद कम संख्या में अच्छे लोगों को नियुक्त किया गया। रिश्वत को रोकने के लिए लोगों और अधिकारियों के बीच होने वाले संपर्क को सीमित किया गया। नई सरकार गठन की डेढ़ साल बाद सब यूनिवर्सिटी में प्रवेश परीक्षा कराई गई। परीक्षा की पर्ची छपने के लिए ब्रिटेन की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी की प्रिंटिंग प्रेस में भेजे गए। छपाई के बाद उन्हें पुलिस वैन के जरिए बैंकों की सुरक्षित लॉकर में रखा गया। परीक्षा हुई तो सभी केंद्रों पर पुलिस तैनात कि गई। सभी कमरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। यह किसी जेम्स बॉन्ड मूवी कि तरह था। उसका विरोध भी हुआ। कुछ शिक्षक और छात्र उसके विरोध में थे। लेकिन राष्ट्रपति मिखाइल साकाशविली कदम पीछे लेने को तैयार नहीं हुए। देश में बदलाव के लिहाज से यह सबसे महत्वपूर्ण कदम था। भ्रष्टाचार से पैसा सीधे सरकार के खजाने में जा रहा था। कर जमा करना हो। ट्रैफिक से जुड़े जुर्माने हो या फिर सरकार को किए जाने वाले दूसरे भुगतान सब कुछ ऑनलाइन होने लगा। सरकार की आमदनी बहुत बढ गई। राष्ट्रपति मिखाइल साकाशविली के पहले कार्यकाल में देश का बजट 12 गुना तक बढ़ गया। अगर नतीजे की बात करें तो जॉर्जिया में तंत्र पटरी पर आ गया। जॉर्जिया मॉडल बहोत हि कामयाब मॉडल है। एंटी करप्शन इंडेक्स में जॉर्जिया की रैंकिंग सुधर गई लेकिन तत्कालीन राष्ट्रपति मिखाइल साकाशविली की कहानी यहीं खत्म नहीं हुई।
चौथा चरण बदलाव के सबक
मिखाइल साकाशविली इस बात का उदाहरण है ? कि सत्ता किसी को भी विकृत कर देती है। सरकार ने लोगों को सुरक्षाबलों, गृह मंत्रालय और पुलिस से निकाला। तब दिक्कत यह थी कि सरकार ने उन्हें अपने तौर-तरीके बदलने का मौका नहीं दिया। लोगों को निकाले जाने की कार्यवाही कानून के मुताबिक नहीं हुई। राष्ट्रपति मिखाइल साकाशविली इस कदर जल्दी में थे। कि वह कानूनी प्रक्रिया की अनदेखी करने लगे। हालांकि यह भी कहा जाता है। कि अगर उन्होंने पूरी प्रक्रिया का पालन किया होता तो हर कर्मचारी के। बारे में जानकारी जुटाने में कई साल निकल जाते। और हो सकता था कि तब तक बदलाव का मौका हाथ से निकल जाता। लेकिन उनके फैसलों से लोगों की शिकायतें बढ़ रही थी। सरकार के खिलाफ केस जितना नामुमकिन था। कोई भी जजो को रिश्वत नहीं दे रहा था। मगर जजों को ऐसे फैसले देने की अनुमति नहीं थी। जो सरकार के फैसलों के विरोध में हो। कई बार कानून का पालन करने वाली एजेंसी को उन लोगों के खिलाफ औजार के तौर पर आजमाया जाने लगा। जो सरकार के खिलाफ बोलते थे। राष्ट्रपति मिखाइल साकाशविली मानने लगे कि वह अकेले व्यक्ति हैं। जो देश को बचा सकते है। उन्हें इस बात का पक्का यकीन था कि अगर वह राष्ट्रपति पद से हटे तो जॉर्जिया दोबारा पुराने भ्रष्ट तंत्र में फंस जाएगा। ऐसे में वह सत्ता में बने रहने के लिए, हर हठकंडा आजमाने लगे। उनके राष्ट्रपति बनने के कुछ वक्त बाद एक विधेयक पारित हुआ। जिसके तहत शक्तियां संसद के बजाय राष्ट्रपति के हाथ में आ गई। अहम मुद्दों के मामले में फैसला लेने में उनके पास ज्यादा ताकत थी। इसे सही ठहराने के लिए बताया गया कि फिलहाल इतने सुधार और बदलाव हो रहे हैं। कि राष्ट्रपति के पास ज्यादा ताकत और फैसले लेने की ज्यादा आजादी होनी चाहिए। तब ज्यादातर लोगों ने इसे ठीक माना। लेकिन दो कार्यकाल पूरा करने के बाद साल 2013 में मिखाइल साकाशविली चुनाव हार गए। मिखाइल साकाशविली की आशंका के उलट उनके कार्यकाल में जो सुधार हुए थे, उनमें से ज्यादातर बने रहे। जॉर्जिया में सब कुछ परफेक्ट यानी कि पूरी तरह से ढर्रे पर नहीं है। बहुत से लोग अभी भी गरीबी रेखा के नीचे है। बेरोजगारी भी है।लेकिन यह बात हर कोई मानता है कि जॉर्जिया काफी हद तक भ्रष्टाचार मुक्त और रहने के लिहाज से सुरक्षित है।
लौटते हैं उसी सवाल पर कि क्या किसी देश के लिए भ्रष्टाचार खत्म करना संभव है ? इसका जवाब है हां, बिल्कुल ऐसा हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि लोगों का समर्थन आपके साथ हो। आपके पास हर किसी को निकाल बाहर करने और नई शुरुआत करने का साहस हो। आपको प्रशासन में बैठे अधिकारियों और लोगों के बीच एक निश्चित दूरी कायम करनी होगी। आपके हाथ में इतनी शक्तियां भी होनी चाहिए कि आप फैसले लागू कर पाए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि आपको यह भी समझना होगा कि शिकंजा कब ढीला करना है। ताकि लोग आपकी तौर तरीकों से उब न जाए। आप इसके लिए क्या सोचते है।कॉमेंट कर के हमें बताये ।
#Georgia #MikheilSaakashvili
Writer Ridham Kumar
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