Big tension in Israil , judicial overhaul bill

इसराइल में बढता हंगामा
बिन्यामिन नेतन्याहू के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
यूरोपीयन यूनियन ने judicial overhaul bill कि मंजूरी पर चिंता जताई है ।
इसराइल में बढता हंगामा
बिन्यामिन नेतन्याहू के खिलाफ विरोध प्रदर्शन
यूरोपीयन यूनियन ने judicial overhaul bill कि मंजूरी पर चिंता जताई है ।
इसराइल में न्याय पालिका के अधिकारों को कम करने वाले कानून को रद्द करने की मांग कि है । इसराइल के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली है । विपक्षी नेता Yair Lapid ने कहाँ वह भी सुप्रीम कोर्ट जायेंगे । यूरोपीयन यूनियन ने और ब्रिटेन ने भी बिल कि मंजूरी पर चिंता जताई है ।
इसराइल में 24 जुलाई सोमवार को ज्यूडिशियल रिफॉर्म बिल के एक हिस्से को अपनी मंजूरी दे दी है । इस कारण से महीनो से विरोध कर रहे आम लोगों का गुस्सा एक बार फिर फूट पडा है । इस बिल में ऐसा क्या खास है । कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू किसी की भी परवाह किए बगैर इस बिल को पास करना चाहते है ?
इसराइल में जो हो रहा है सारी दुनिया की नजरें उसी पर है ।सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को सीमित करने वाले बेहद विवादित कानून को संसद की मंजूरी मिलने के बाद लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है और वो सडको पर उतर आये है । इस नए कानून में प्रावधान है कि सुप्रीम कोर्ट अब सरकार की किसी कार्रवाई को असंगत बताकर उसे खारिज नहीं कर पाएगा । यह नया कानून उन प्रस्तावित न्यायिक सुधारों का हिस्सा है । जो प्रदर्शनकारी इसराइल के लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहे है । हाला कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ऐसा नहीं लगता । उनका तर्क है, उस से सरकार उन नीतियों पर अमल कर पाएगी जिसे देश के बहुसंख्यक नागरिक चाहते हैं। इसराइल में प्रस्तावित न्यायिक सुधारों के विरोध में पिछले कुछ महीनों से विरोध प्रदर्शन हो ही रहे थे। लेकिन बीती रात प्रदर्शन अचानक तेज हो गये। विपक्ष को डर इस बात का है कि इन बदलाव की वजह से इसराइल में तानाशाही को बल मील सकता है । इस से बेंजामिन नेतन्याहू के नेतृत्व वाले धुर दक्षिण पंथी राष्ट्रवादी और धार्मिक पार्टियां बेकाबू हो जायेगी । लेकिन इतने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों के बावजूद इसराइल संसद में कानून पर मंजूरी को मोहर लगाई गई है। उसे प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की जीत के तौर पर देखा जा रहा है ।
इन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि "यह मेरा देश है, दीदी ( नेतन्याहू ) ने हमारे नागरिकों को अगवा कर लिया है, ऐसा नहीं होना चाहिए। इस लिए हमें यहां आना पड़ा है । मैंने सेना में अपनी सेवाएं दी है। इसराइल की सुरक्षा हमारी प्रतिबद्धता है । क्योंकि यह हमारी साझा लोकतांत्रिक मूल्य और हित हमारे संबंधों का आधार है । हम डटे रहेंगे। इसराइली संसद का रास्ता बंद करेंगे" और अब वो इसे साबित करने की कोशिश कर रहे हैं ।
इसराइली संसद के बाहर सब बंध है । संसद में जो कल हुआ उसने सारी हदें पार कर ली है। सिक्योरिटी फोर्स एक वेन का इस्तेमाल कर रही है। सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों को पानी की बौछारो से तितर-बितर किया गया। यह लोग बीबी यानी प्रधानमंत्री नेतन्याहू से खासे नाराज हैं। ऐसे दृश्य यहां पहले नहीं देखे गये।
प्रधानमंत्री नेतन्याहू को अभी-अभी पेसमेकर लगा है। बढ़ते तनाव के बीच। वो नजर आये है । मतदान की घड़ी आने पर विपक्ष ने शेम शेम के नारे लगाये। विपक्ष यह केहकर संसद से बाहर चला गया कि इन ऐतिहासिक बदलावों के जरिए तानाशाही के दरवाजे खोले जा रहे हैं । इसराइल में कोई प्रधानमंत्री नहीं है। नेतन्याहू अति वादियों के हाथों की कठपुतली बन गए हैं, लेकिन नेतन्याहू ने अपने आलोचकों को जवाब दिया । "आज हमने जरूरी लोकतांत्रिक कदम उठाया है । इसका मकसद सरकार की उन जरूरी शाखाओ
में संतुलन कायम करना है । जो हमारे पास पचास सालो से है ।"
पर बढ़ते विरोध के बीच संकट बढ़ता जा रहा है। इलाके में हिंसा तेज होती जा रही है। फिलिपस्टिन क्षेत्रों में इसराइली कब्जा है। संघर्ष का कोई राजनीतिक समाधान पहले हि नजर नहीं आ रहा था। और अब सरकार के खिलाफ असंतोष सुरक्षा बलों में भी बढ़ता जा रहा है और इसराइल के अंदरूनी मतभेद इससे पहले शायद ही इतना खुलकर सामने आए थे ।
लेकिन यह न्यायिक सुधार है क्या ? लोग इनसे इतने भड़के हुए क्यों है ? इसराइल में संसद में प्रस्तावित कानून में संसोधन करने के लिए दूसरा सदन नहीं है । और अब सरकार कानूनों की समीक्षा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शक्ति को कम करना चाहती है । इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट समेत तमाम अदालत में जज कौन हो ? सरकार इसमें भी अपना ज्यादा दखल चाहती है और इसके लिए जजों को नियुक्त करने वाली समिति में अपना प्रतिनिधित्व बढ़ा रही है । सरकार का दावा है कि न्यायिक नियुक्तियों की मौजूदा प्रणाली लोकतांत्रिक नहीं है । इसराइली कैबिनेट में शामिल धुर दक्षिणपंथी मंत्री इन बदलाव की मांग करते रहे है । उन्हें लगता है कि इजरायल की न्यायपालिका कुछ ज्यादा ही उदारवादी है। संकट के समाधान के लिए प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने विपक्षी दलों के साथ बातचीत की पेशकश भी की, लेकिन विपक्ष चाहता है कि पहले सुधारों को रोका जाए । विपक्ष को चिंता इस बात की है कि इन सुधारों से नेतन्याहू को बचने का मौका मील जायेगा । जीन के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के मामले में मुकदमा चल रहा है । नेतन्याहू अपने खिलाफ लगे
आरोपों को बेबुनियाद बताते है । इसराइल में संसद में हुए मतदान के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी आलोचना हुई है । जीनमें उनके करीबी सहयोगी भी शामिल है ।
सारा मामला नेतन्याहू से ही शुरू होता है और यह प्रक्रिया इस बात को लेकर शुरू हुई, कि नेतन्याहू पे चार भ्रष्टाचार के आरोप लगे है । उस पर सुनवाई चल रही है । उन्हें कटघरे में खडा होना पडता है । यह गठबंधन सरकार है, उसमें कई और पार्टियां हैं । उन पार्टियों में जो सर्वश्रेष्ठ नेता है, वह भी किसी ना किसी तरह से आहत हैं । कोर्ट से अदालत से बहुत आहत है । उनका अपना पर्सनल एजेंडा है । लेकिन मूल जड़ पर वह खुद नेतनयाहू है ।
सिविल सोसाइटी के पास से अभी जो बयान आया है । उसमें यह कहा जा रहा है कि अंतिम दौर तक यह लडाई जारी रहेगी । वह पीछे नहीं हटने वाले हैं और फिलहाल उसका असर दिख भी रहा है। आज इसराइल मेडिकल एसोसिएशन ने स्ट्राइक का एलान किया है । हड़ताल पहले भी चल रही थी । कई सारे! बिज़नेस हाउसीस ने अपना काम बंद कर दिया है । यहां के जो हाईटेक सेक्टर है जो कि एक तरह से देखें तो उस पर काफी हद तक यहां कि इकोनॉमि आधारित है । वह हाईटेक सेक्टर डगमगाता हुआ नजर आ रहा है । वह केह रहे है, अब वह बहार इन्वेस्टमेंट करेंगे । यहां तक कि वह अपने लोगो को यह भी ऑप्शन दे रहे हैं । कि अगर आप चाहे तो
हमारे अंतर्राष्ट्रीय किसी और ब्रांच में जाकर के काम करें,
आपके सामने यह विकल्प भी मौजूद है ।
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Writer Ridham Kumar
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