4 Types of Shares and Profit 100%:

Keypoint:
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स्टॉक एंड शेयर्स.
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स्टॉक मार्किट में शेयर्स का अप्स एंड डाउन.
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स्टॉक मार्किट में शेयर्स का कैलकुलेशन.
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रेप्यूटिड कंपनी बेस्ड शेयर्स एंड प्रॉफिट.
आगे बात करते है....

स्टॉक एंड शेयर्स.
स्टॉक मार्किट में शेयर्स का अप्स एंड डाउन.
स्टॉक मार्किट में शेयर्स का कैलकुलेशन.
रेप्यूटिड कंपनी बेस्ड शेयर्स एंड प्रॉफिट.
आगे बात करते है....
दोस्तों हमारे स्टॉक मार्केट में 4 तरह के स्टॉक होते हैं। इन चारों तरह के स्टाफ को अगर हम फिगर आउट कर सकते हैं तो हम प्राइस को ना देखते हुए स्टॉक की वैल्यूएशन को देखते हुए इन्वेस्टमेंट करते हैं और यह हम भी तीन चार पांच परसेंट के प्रॉफिटेबल इन्वेस्टमेंट की कैटेगरी में आ सकते हैं। नमस्कार दोस्तों स्वागत है। स्टार्ट फॉर रिटेल पर स्टॉक मार्केट से जुड़ी एक नई जानकारी के साथ. अब जो बात करेंगे वो बहुत ज्यादा इंफॉर्मेटिव होने वाली है और यह आप के इन्वेस्टमेंट साइकोलॉजी को बदलकर रख देगी और इसके बात आप उस प्रॉफिटेबल इन्वेस्टर की कैटेगरी में आने के लिए पहला कदम रख सकते क्योंकि यहां पर हम डिस्कस करने वाले हैं। कुछ ऐसे स्टॉक के बारे में और कुछ ऐसे स्टॉक्स के कैटेगरी के बारे में जिन को समझने के बाद आप ओपन माइंड से स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट करने का डिसाइड कर सकते हो और कुछ नया इंफॉर्मेशन आपको समझ आ रही है ठीक है
पहली कैटेगरी: पहली कैटेगरी स्टॉक की होती है। देखने में बहुत महंगे लगते हैं। स्टॉक हमें प्राइसेज हजारों रुपए के होते हैं और हम रिटेल इन्वेस्टर्स की पहुंच से बहुत ज्यादा दूर होते हैं। अब यहां पर फॉर एग्जांपल इंडिया का सबसे महंगा शौक एमआरएफ स्टॉक ₹100000 से भी ऊपर का एक शेयर मिल रहा है। यहां पर आप ध्यान दीजिए तो जो पेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड है। पेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड ऐसा नहीं कि एक ही साल में 40000 ₹50000 के आसपास पेट करने लगा। वह भी ध्यान दीजिए. 2008 में यह स्टॉक करीब करीब ₹500 के आसपास वेट कर रहा था। क्या ऐसी बात हुई कि यह 500 से सीधे-सीधे 2014 में 5800 हो गया और 5800 से सीधे-सीधे 2018 में 34,000 हो गया और यहां पर रीसेंट हाई गया था? ₹53000/शेयर के आस पास किया. तो हर 6-7 साल में 5 गुना 6 गुना 10 गुना रिटर्न यह स्टॉक देता रहा है। प्राइस इन के रीडिउस नहीं हुए हैं। जनरल हम रिटेल इन्वेस्टर्स की साइकोलॉजी क्या होती है कि अगर ₹5 का शेयर कोई मिल रहा है तो वह सस्ता स्टॉक है। ₹5000 का मिल रहा है तो वह महंगा स्टॉक है और उसमें हम रिटेलिंग खरीद(Buy) कभी नहीं कर सकते. अब यही स्टॉक करेंटली ₹40000 के आसपास ट्रेड कर रहा है। मैं आपको बोल दूं कि मैं आपको ₹4000 का सेल करूंगा तो भी आपको लगेगा कि भाई ₹4000 की भी तो बहुत ज्यादा महंगा है। लेकिन अगर इसको अगले एक-दो साल में 4000 से ₹400 का कर दूं तो आपको लगेगा कि सस्ता हो गया चलो खरीद(Buy) कल लेते है बिना किसी एनालिसिस के. हम रिटेल इन्वेस्टर्स मोस्टली लॉस में इसलिए जाते हैं क्योंकि हम बिना किसी एनालिसिस के स्पैकुलेट बेस्ड इन्वेस्टमेंट कर रहे होते है. स्पेकुलेशन जो होती है स्टॉक मार्केट में एटलीस्ट 96 टू 97% रिटेल इन्वेस्टर द्वारा होती है और वही होते हैं। जो कि स्टॉक मार्केट में अपना पैसा कलेक्टिवली बड़े इन्वेस्टर्स को दे रहे होते हैं तो अगर हम एनालिसिस करें, अगर हम स्टॉक मार्केट के बारे में सीखे, तो हम भी अच्छे प्लेयर बन सकते हैं स्टॉक मार्केट में, हम भी प्रॉफिटेबल बन सकते हैं तो यहां पर अगर हम फंडामेंटल्स पर ध्यान दें कंपनी के तो देखिये कंपनी आपको डिविडेंड प्रोवाइड रही के प्रॉफिटेबल है पिट्रोस्की स्कोर क्या यहां पर नेगेटिव में है या पैसिव मार्क के आस पास है ग्राहम नंबर के सबसे महंगे दाम पर मिल रहे हैं सब कुछ यहां पर ठीक ठाक है। रिटर्न ऑन इक्विटी बहुत ही बेहतरीन हैं रिटर्न ऑन कैपिटल एंप्लॉयड बहुत ही बेहतरीन है ऑडिट बिल्कुल ना के बराबर है लेकिन आप एक इनफार्मेशन पर ध्यान दीजिए. तो जो फेस वैल्यू है इसका वो फेस वैल्यू 10 का है। यानी कि इस कंपनी ने कही भी स्टॉक इस्प्लिट नहीं कर रखा तो आज अगर मैं स्टॉक इस्प्लिट कर दूँ इसका तो प्राइस ₹4000 का हो जाता है और कंपनी ने कभी बोनस शेयर अनाउंस नहीं किया तो आज के आज मैं अगर वन इस टू बन का बोनस शेयर अनाउंस कर दूँ तो शेयर प्राइस यहां पर ₹2000 का हो जाएगा। अगर मैं 6 महीने बाद फिर से बोनस शेयर अनाउंस कर दूं शेयर प्राइस ₹1000 का हो जाएगा। फिर अनाउंस कर दूं ₹500 का हो जा. कहने का मतलब यह है कि शेयर प्राइस रिड्यूस करने के तरीके होते हैं। कंपनियों के पास और मार्केट केपिटलाइज़शन वही का वही रहता है तो यहां पर कुछ कंपनियां ऐसी होती है। कुछ कंपनियों का मैनेजमेंट ऐसा होता है जिनको कि अपने बिजनेस पर ध्यान देना होता है और वह स्टॉक प्राइसेज के रिडक्शन पर ध्यान नहीं देती हैं। यहां पर अगर हम पेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड की बात करें तो कंपनी कर क्या रही है। देखिए सिंपल सी बात है। दो ढाई सौ रुपए के इनके जो स्क्रीन पर आपको दिख रहा है, यह आ जाते हैं। हर कोई पहन लेता है लेकिन इनके स्टॉक के बारे में कंपनी के बारे में कोई नहीं जाना चाहता है। कोई स्टॉक प्राइस देखकर ही भाग जाता है तो कोई स्टॉक खरीदना नहीं चाहता है तो यहां पर कहने का मतलब यह है कि कंपनी किसी बिजनेस से अगर ग्रो कर रही है तो हमें यह समझना होगा कि ₹40000 महंगा या ₹400 महंगा ठीक है। अब बोनस शेयर क्या होता है और कैसे बोनस शेयर की वजह से हमें स्टॉक मार्केट में कंपाउंडिंग रिटर्न मिलते हैं और ऑल लोंग पीरियड आफ टाइम ठीक यहां पर आपको देखने चलेगा कि स्टॉक है करंट प्राइस अर्निंग रेशों के हिसाब से ओवर वैल्यूड है कुछ कंपनियां ऐसी रहती है। कुछ बिजनेस सेगमेंट ही ऐसे रहता है जो कि हमेशा आपको और ओवर वैल्यू देखने को मिलेगा तो स्टॉक की डिमांड हमेशा रहती है। इन स्टॉक को जो बाय कर लेता है वह स्टॉक को सेल करने की कोशिश कभी नहीं करता है। गिरावट होने के बावजूद आज स्टॉक में हमने देखा गिरावट हुई थी, लेकिन गिरावट के बाद देखिये कितना सही इसने रिवर्जन दिया तो ऐसे स्टाफ जनरल जनरली हाई हर हाई हाई हर लो पैटर्न बना कर देते हैं और एक अच्छा खासा रिटर्न्स देने का पोटेंशियल रखते हैं और यह आते हैं। देखने में महंगे वाले स्टाफ की कैटेगरी में तो हमने शुरुआत में कहा था 4 कैटेगरी तो पहली कैटेगरी यहां पर है देखने में महंगे वाकई में महंगे तो ₹40000 का यहां पर क्या महंगा स्टॉक है. देखिये अब यहाँ पर पेज इंडस्ट्रीज में प्रमोटर शेयर होल्डिंग 46% के आसपास है पब्लिक इन्वेस्टमेंट ना के बराबर है रिटेल इन्वेस्टर्स बिल्कुल ना के बराबर है। इसमें 10% के आसपास यहां पर आपको पब्लिक इन्वेस्टमेंट देखने को मिल पाया. इसलिए यहां पर आप मिला कर देख सकते हैं करीब करीब 43% के आसपास आपको उनकी होल्डिंग देखने को मिलेगी तो इंस्टीट्यूशंस को तो पता है कि कंपनी क्या करती है. कंपनी का बिजनेस सेगमेंट क्या है फ्यूचर का स्कोप क्या है? उन्होंने तो इन्वेस्टमेंट कर रखा है, लेकिन हम रिटेल इन्वेस्टर्स केवल दाम देखते हैं। इसलिए हमें यह नहीं पता है कि इसमें एक्चुअल में क्या हो सकता है। इसका एक्चुअल पोटेंशियल क्या है?
ठीक है चलिए अब यहां पर बात करते हैं। संवर्धन मदरसन इंटरनेशनल लिमिटेड के बारे में जो कि मदर्सन सुमी हुआ करती थी, उससे डिमर्ज हो कर दो कंपनियां बनी रिसेंटली, संवर्धन मदरसन और मदर्सन सुमी वायरिंग इंडिया लिमिटेड. यहां पर आप ध्यान दीजिए तो यह तो पार्टीकूलर कंपनी है। 2009 में करीब करीब ₹5 के आसपास हुआ करती थी। बाद में यहां पर 2017 में ₹174 के आसपास गई और 2021 में भी ₹170 के आसपास दे। उसके बाद फिर से ग्राउंड ₹64 के आस पास में देखने को मिला। करंट में यहां पर पर ₹95 के आसपास ट्रेड कर रहा है ₹95 का प्राइस देखते हमारे आंखें खुल जाती हैं। खुली की खुली रह जाती है और हमें लगता है कि अब पहले बाई कर लो. बाद में हम इसके बारे में एनालीसिस करेंगे और हम बाय कर लेते हैं। अब यहां पर आपको यह समझना होगा कि क्या वाकई में यह ₹5 का था। इसका फेस वैल्यू कितना है। कितनी बार इसने बोनस शेयर्स दिया है डी मर्जर के पहले क्या बोनस शेयर देती रही है डी मर्जर के बाद क्या बोनस शेयर इन्होंने अनाउंस किया तो कहने का मतलब यह कि अगर आप ध्यान देंगे तो इनका फेस वैल्यू ऑलरेडी एक का हो चुका है। इन्होंने कई बार बोनस शेयर दिया और शेयर प्राइस उस बोनस शेयर को एडजस्ट करते हुए स्टॉक को एडजस्ट करते हुए अगर हम कैलकुलेट करें तो करंट यहां पर मार्केट सिचुएशन में जो ₹95 का दिख रहा है, यह 30 40,000, ₹50000 से भी ऊपर हो जाएगा.
दूसरी कैटेगरी: यहां पर दूसरी कैटेगरी है हमारे स्टॉक की. वो देखने में तो कम लगते हैं लेकिन एक्चुअली में होते महंगे हैं तो यहां पर अगर पेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड स्टॉक स्प्लिट कर देती है। बोनस शेयर्स दे दे देती तो हमें प्राइस ₹400 से भी नीचे देखने को मिल रहे होते तो यहां पर मदरसन सुमी ने यह काम कर दिया और इसलिए हमें स्टॉक प्राइस ₹95 के आसपास देखने को मिला. तो जो फंडामेंटल पैरामीटर सामने डिस्कस किए पेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड के बारे में, मदरसन सुमी के बारे में वह आप देखिए. यह जो संवर्धन मदरसन है। एक्चुअल में संवर्धन मदरसन नाम हो गया इसका डिमर्ज के बाद. यह क्या वाकई में आने वाले समय के लिए भी पोटेंशियल रखती है, अपने बिजनेस सेगमेंट में 10 गुना,15 गुना रिटर्न्स देने का एक्चुअली में. ये इंपॉर्टेंट बातें हमें समझनी चाहिए एज ऐ रिटेल इन्वेस्टर्स. तभी हम सही स्टॉक के बारे में सही निर्णय ले सकते है, सही एनालिसिस के साथ.
तीसरी कैटेगरी: यहां पर बात करते है तीसरी कैटेगरी के बारे में, तीसरी कैटेगरी का स्टॉक, इंफोसिस, लिमिटेड जैसे स्टॉक होते हैं, जिनका की शेयर प्राइस ज्यादा देखने को मिल रहा होता है। लेकिन वह एक्चुअल में अच्छे भी स्टॉक होते हैं, महंगे भी स्टॉक होते हैं. ऐसे स्टॉक क्योंकि हायर हाई हायर लो वाला पैटर्न बना कर देते हैं रिगार्डलेस मार्केट सिचुएशन. ऐसी स्टॉक जरूर से जरूर आपको 10 गुना 15 गुना 20 गुना रिटर्न देने का पोटेंशियल रखते हैं। अब यहां पर ध्यान दीजिए तो इंफोसिस लिमिटेड अगर हम देखें तो सन 2003 में करीब करीब ₹39 के आसपास हुआ करती थी। उसके बाद से सन 2008-09 की गिरावट में ₹145 के आसपास उसके बाद यहां पर ध्यान दीजिए. करीब करीब ₹816 का 2019 में और यहां पर रिसेंटली गया था ₹2000 के आसपास 2022 में, करंट में ₹14 के आसपास ट्रेड करता हुआ दिखाई दे रहा. तो नो डॉउट इसमें गिरावट हुई है लेकिन गिरावट के बाद देखिए हर 4-5 साल पर आपका पैसा दो तीन चार गुना से ज्यादा करता हुआ दिखाइ दे रहा है ये पर्टिकुलर स्टॉक यहाँ पर देखे तो आप देख सकते है कि प्रमोटर शेयर होल्डिंग हालांकि थोड़ी सी कम है। यहां पर 25% के आसपास पब्लिक है लेकिन बाकि बची जितनी भी है इंस्टीटूशन्स है कुछ कंपनी ऐसी होती है की जिनमे प्रमोटर शेयर होल्डिंग बहुत कम होती है। जीरो भी होती है कुछ कंपनियों में, लेकिन ऐसी कंपनियां भी अच्छा खासा रिटर्न दे रही होती है क्योंकि इन कंपनियों के फंडामेंटल अच्छे होते हैं और इन कंपनियों में पोटेंशियल होता है एक अच्छा खासा रिटर्न देने का चलिए यहाँ पर ध्यान दीजिये इसकी बोनस हिस्ट्री के बारे में तो 94 से लेकर 2018 तक कई बार इन्होने बोनस शेयर अनाउंस किया और इन्होने ये बोनस शेयर अनाउंस नहीं किये होते और जो फेस वैल्यू 5 का है और उसको यहाँ पर स्टॉक इसपिलिट न किया होता तो यहाँ पर आप समझ सकते है की शेयर प्राइस इनफ़ोसिस का हज़ारों रुपये/शेयर पर ट्रेड कर रहा होता और महंगे स्टॉक की केटेगरी में आ चूका होता हमें लगता हम इसको कभी भी बाय नहीं कर सकते. यहां अगर फंडामेंटल अच्छे हैं तो हम उसे देखते हुआ निवेश करते हैं। हम खुदरा निवेशक सिर्फ मनोवैज्ञानिक तौर पर कीमत देखते हैं और हम सोचते हैं कि यह स्टॉक एक अच्छा स्टॉक है जो कि बिल्कुल गलत है। हमें केवल और केवल अच्छे बुनियादी तौर पर मजबूत शेयरों में निवेश करना चाहिए। खासतौर पर तब जब की उनमे गिरावट हुई हो.
तो इन तीन श्रेणियों के बाद, हम जानते हैं चौथी केटेगरी के बारे में
चौथी केटेगरी: जो चौथी केटेगरी है वो देखने में भी सस्ता और बुनियादी बातें भी उसकी सस्ती मद्दी. तो शेष जो बचे हुए स्टॉक हैं। अब बाकि बचे हुए का मतलब ये नहीं के जो अच्छे स्टॉक है वो भी. कंपनी के बुनियादी सिद्धांत वही हैं. चौथी श्रेणी एक स्टॉक केटेगरी की श्रेणी में आती है है। हम ऐसे शेयरों का पता लगाते हैं तो लगाते ही रहते हैं. और हम इसे सट्टा आधारित निवेश के साथ करते रहते हैं। इसलिए, यदि हम इन चार श्रेणियों में निवेश करते हैं, तो हम मुनाफे बाले निवेशकों की श्रेणी में भी आ सकते हैं.
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