परीक्षाओं का इतना प्रेशर क्यों ? Why so much pressure for exams?

JEE ,NEET से लेकर डिग्री मिलने तक देने होते हैं सैकड़ो इम्तिहान। 
        💨    11वीं से b.tech तक स्टूडेंट 782 घंटे देते हैं परीक्षा, एमबीबीएस तक 1300 घंटो का एग्जाम।  
       अब 10वीं -12वीं के छात्रों को साल में दो बार परीक्षा देना जरूरी नहीं होगा । छात्रों में तनाव कम करने के लिए केंद्र सरकार यह कदम उठा रही है ।  बता दें कि पिछले 5 साल में देश में 64 एमबीबीएस व 55 पीजी मेडिकल छात्रों ने अपनी जान दी है । वहीं 5 साल में आईआईटी के 33 छात्रों ने सुसाइड किया है ।  विशेषज्ञ के मुताबिक सुसाइड के पीछे एग्जाम स्ट्रेस भी एक बड़ा कारण है ।  यह स्ट्रेस एंट्रेंस तक की सीमित नहीं है।  एग्जाम पास करने के बाद भी छात्रों पर अलग प्रेशर रहता है । एमबीबीएस व बीटेक छात्रों के 11वीं से लेकर ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई पूरी करने का एनालिसिस किया तो चौकाने वाले तथ्य सामने आए । एक मेडिकल स्टूडेंट 11वीं से एमबीबीएस तक करीबन 436 एग्जाम देता है।  वह इंजीनियरिंग छात्र इसी अवधि में लगभग 520  परीक्षाएं देता है । 11वीं से 12वीं तक छात्रों के 385 घंटे स्कूल परीक्षा देने में बीत जाते हैं । 
              💨   प्रेशर इतना कि जेईई टॉपर भी एग्जाम में करता है स्ट्रगल। 
             आईआईटी बॉम्बे में पढ़ रहे एडवांस 2021 टॉपर मृदुल ने बताया कि यहां आने के बाद टॉपर भी सामान्य श्रेणी में आ जाता है।  हर छात्र को परीक्षा में खुद को साबित करना होता है ।  छात्र को 5-7 कोर्स करने जरूरी हैं । हर सेमेस्टर में दो एक्जाम, क्विज व असाइनमेंट होते हैं ।  छात्र 4 साल में 250 परीक्षाएं देता है ।  अच्छे रिप्लेसमेंट का दबाव भी रहता है । एम्स भुवनेश्वर से पास आउट डॉक्टर दिनेश यादव ने बताया कि यहां 4-5 साल के कोर्सवर्क में 19 विषय होते हैं । हर सेमेस्टर में दो बड़े एग्जाम होते हैं । उधर 11वीं से  बी-टेक तक छात्र 782 घंटे परीक्षा देने में बिताता है । स्टूडेंट 11वीं से एमबीबीएस तक 1300 घंटे परीक्षा देता है ।
             💨    एमबीबीएस छात्र  को 5 साल में पढ़ने होते हैं 40,000 पन्ने। 
              मेडिकल कॉलेज में अधिकांश छात्रों के फर्स्ट ईयर में मार्क्स कम आते हैं ।  क्योंकि फर्स्ट ईयर एग्जाम में सिलेबस ज्यादा रहता है और छात्रों को इसका अनुमान नहीं होता है । इससे वे स्ट्रेस में आ जाते हैं ।  वहीं एमबीबीएस के दौरान 40 किताबें औसतन ( 40,000 पन्ने ) पढ़नी होती हैं ।  फाइनल ईयर में ही 5,000 पन्नों की किताब पढ़नी होती है । छात्र 11वीं से डिग्री पूरी होने तक 135 किताबें पढ़ चुका होता है । 
           

Exam Pressure