मन और आत्मा का गठजोड़ union of mind and soul
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मन और आत्मा दोनो को भगवान ने एक खूंटे से बांधा हुआ है मन तो शैतान और चंचल है और इसके विपरित आत्मा स्थिर और निर्मल होती है इसलिए मन को तो गधा कहा गया है और आत्मा को गाय कहा गया है मन तो इस जीव से बीड़ी, सिगरेट,तंबाकू, गुटखा और शराब आदि गंदे व्यसन करवाकर इसको पाप कर्म और विनाश की तरफ धकेलता है और आत्मा के गुण है भगवान की चर्चा करना और सुनना,सबसे अच्छे से बोलना,प्यार से रहना,अच्छे कार्य करना,सत्संग में जाना,सत्य बोलना आदि कर्म करके इस जीव के पुण्य कर्मों में वृद्धि करती है ।
मन सदा बुराईयों में ही लगा रहता है ये हमेशा छल कपट,क्रोध, अहंकार आदि विकारों में लगाकर इस जीव को भ्रमित करता रहता है इसलिए आत्मा दुखी रहती है और मन प्रसन्न ।
लेकिन ऐसा तब ही तक रहता है जब तक आत्मा को परमात्मा का साथ ना मिले,आत्मा को परमात्मा का साथ मिलते ही राम नाम की ताकत इस आत्मा को मिलने लग जाती है और ये बलशाली होती जाती है और एक दिन ऐसा आता है जब ये मन से अधिक ताकतवर हो जाती है और मन का साथ देना बंद कर देती है मन को आहार कम होने से वह कमजोर हो जाता है और आत्मा इससे अधिक बलशाली हो जाती है और ये मन के अधीन नहीं रहती है।
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