हार्ट फेलियर , कया है ? -heart-failure-heart-attack
हार्ट फेलियर , कया है ?
डॉ. वरिंदर सिंह बाजवा
Dr.Varinder Singh bajwa
जब हम दिल की सेहत के बारे में सोचते हैं, या सुनते हैं कि कैसे इन दिनों दिल से जुड़े मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और दिल की समस्याओं पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है, जब हम हार्ट फेलियर की बात करते हैं तो हम देखते हैं दिल की विफलता हृदय स्वास्थ्य से जुड़ी एक गंभीर समस्या है। आम भाषा में इसे हार्ट फेल्योर कहा जाता है। हार्ट फेल होने की स्थिति में आपके दिल की मांसपेशियां जरूरत के मुताबिक खून पंप नहीं कर पाती हैं, साथ ही दिल द्वारा पंप किया गया खून दिल में वापस आने लगता है। इसकी वजह से फेफड़ों में Fluid तरल पदार्थ बनने लगता है और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। यह कई बीमारियों का एक समूह है, जो तब विकसित होता है जब ,दिल शरीर के अंगों और ऊतकों को ठीक से रक्त पंप नहीं कर पाता है, या उस समय तक बहुत नुकसान हो चुका होता है और दिल को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है। हार्ट फेलियर एक्यूट (अल्पकालिक) या (Chronic )क्रोनिक हो सकता है। क्योंकि आजकल हम जिस तरह का खाना-पीना खा रहे हैं, वे भी , दिल से संबंधित बीमारियों का कारण बन सकते हैं । दिल की विफलता आपको थोड़ा भ्रमित कर सकती है, जैसे के इसका मतलब यह नहीं है कि आपके दिल ने धड़कना बंद कर दिया है ! दिल की विफलता या दिल की विफलता से पीड़ित लोगों को शरीर के माध्यम से पर्याप्त रक्त पंप करने में दिल के लिए मुश्किल होती है। शरीर में पर्याप्त रक्त प्रवाह न होने के कारण शरीर के सभी प्रमुख कार्य बाधित हो जाते हैं। यदि इस स्थिति का इलाज नहीं किया जाता है ,तो इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है।
हार्ट फेलियर का कारण -
इसमें हम देखते हैं कि हार्ट फेलियर की समस्या एक ऐसी स्थिति है जिसमें मरीज का दिल ठीक से ब्लड पंप नहीं कर पाता है। जब दिल सही तरीके से रक्त पंप नहीं कर पाता है तो शरीर के अन्य हिस्सों में शरीर के अंगों और कोशिकाओं में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। इस प्रकार हृदय को अधिक काम (Work ) करने और अधिक रक्त की आपूर्ति जारी रखने के लिए मजबूर किया जाता है और हृदय कक्ष बड़े हो जाते हैं, हृदय की नसें अतिरिक्त रक्त पंप करने के लिए कठोर और मोटी हो जाती हैं। हृदय को रक्त और ऑक्सीजन की सप्लाई करने वाली धमनियों के संकुचन का कारण बनता है। और यह अंततः हृदय की मांसपेशियों को कमजोर करता है।
इन कारणों में कोरोनरी धमनी रोग (संवहनी) रोग (हृदय की मांसपेशियों में रक्त प्रवाह की निरंतर आपूर्ति, रक्त वाहिका की रुकावट) या कार्डियोमायोपैथी (संक्रमण संक्रमण, दवाएं, विषाक्तता, शराब), और हृदय वाल्व रोग, थायराइड रोग, गुर्दे की बीमारी, मधुमेह, जन्म दोष आदि शामिल हैं। जिसकी वजह से हार्ट फेल होने की संभावना हो सकती है।
तो इस तरह यही है के गुर्दे , हृदय के बल से प्रभावित होते हैं और जब गुर्दे पानी (द्रव) और नमक को बराबर बनाए नहीं रखने , से प्रतिक्रिया करते हैं। और जब इन अंगों पर जोर पड़ता है तो इनका काम भी प्रभावित होता है और इससे हाथ, पैर, फेफड़े और शरीर के अन्य हिस्सों में सूजन आ जाती है। और यह दर्द, जिसे कंजेस्टिव हार्ट फेल्योर कहा जाता है, होता है। हार्ट फेल होने से ,लिवर , किडनी ख़राब , स्ट्रोक या हृदय अतालता (arrhythmia ) भी हो सकती है।
हार्ट फेलियर के प्रकार - हार्ट फेल होने की स्थिति या तो दिल के बाएं हिस्से या फिर दाएं हिस्से के फेल होने से उत्पन्न हो सकती है। इसके आलावा दिल के दोनों हिस्सों का एक ही समय पर फेल (विफल) होना भी संभव है । सबसे आम प्रकार है, लेफ्ट साइड हार्ट फेलियर है । डायस्टोलिक हार्ट फेलियर स्थिति तब होती है जब हृदय की मांसपेशी सामान्य से अधिक सख्त या कठोर हो जाती है। जब कि ऑक्सीजन ,युक्त रक्त को पंप करने के लिए हृदय का संकुचन आवश्यक है। सिस्टोलिक हार्ट फेलियर तब होती है, जब हृदय की मांसपेशी पर्याप्त बल के साथ सिकुड़ती नहीं हैं या सिकुड़ने की क्षमता खो देती है।
Stages of heart failure ----- हार्ट फेल होने की अलग अलग स्टेजेस भी होती है। तो उनसे यह पता चलता है के जो मरीज का हार्ट फेल्यर हुआ है वो कहाँ तक पहुंचा है, किस स्टेज में है ? तो इसको हम हार्ट फेल की स्टेजेस भी बोलते हैं।
Symptom --- जैसा कि यह , रोगी के सीने में दर्द , जो दिल के दौरे के कारण होता है। कभी-कभी जब कोई व्यक्ति थोड़ी सी भी गतिविधि करता है, सांस की तकलीफ, बहुत थकान और कमजोरी होती है और गिरने , की भावना होती है। इससे पैरों, घुटनों और टखनों में सूजन भी हो सकती है। हृदय गति तेज हो जाती है या कभी-कभी अनियमित हो सकती है। किसी व्यक्ति की व्यायाम करने की क्षमता में भारी कमी भी हो सकती है। गर्दन की नसें उभरी हुई दिखाई देना , सीने में विज़िंग की आवाजें सुनाई दे सकती हैं ,और रोगी के पेट के हिस्से में सूजन हो सकती है, खांसी से खून के दाग, या बलगम हो सकता है, जिससे जब दिल की कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है, तो तरल पदार्थ का निर्माण भी बहुत तेजी से वजन बढ़ने का कारण बनता है। रोगी को भूख नहीं लगती और उल्टी जैसा महसूस होता है, रोगी को कुछ समझ में नहीं आता और रोगी किसी भी चीज पर ध्यान नहीं दे पाता है।
क्लिनिकल टेस्ट --- इसलिए बीमारी के टेस्ट एक ही समय में करवाना बहुत जरूरी है, ताकि बुरे परिणामों से बचा जा सके और आपकी जान बचाई जा सके। इसमें सामान्य परीक्षण शामिल हो सकते हैं जो रोगी को , BP, रक्तचाप test , ईसीजी, लिपिड प्रोफाइल, आर,एफ,टी,- एल,एफ,टी, इको-कार्डियोग्राफी ,सीबीसी, एक्स-रे आदि करवाना , और कभी-कभी आगे के और परीक्षणों की आवश्यकता हो सकती है।
विशेष -- इस तरह अगर हम देखें , कि मरीज को सीने में दर्द है और वह बेहोश या बहुत कमजोर महसूस कर रहा है। सांस की तकलीफ , सीने में दर्द या बेहोशी, साथ ही तेजी से या अनियमित दिल की धड़कन है । और अचानक, सांस की गंभीर तकलीफ होती है, और सफेद या गुलाबी, झागदार बलगम होता है। Acute stage है । इस लिए रोगी को तुरंत चिकित्सा (Emergency Medical help) ,लेनी चाहिए क्योंकि यह एक खतरनाक स्थिति हो सकती है।
रोकथाम --- रोकथाम, बीमारी के प्रसार को रोकना, जीवन शैली को स्वस्थ जीवन शैली में बदलना, नियमित (आसान ) शारीरिक व्यायाम सहित, फलों और सब्जियों से भरपूर उचित आहार खाना, और नमक और संतृप्त वसा (तली हुई चीजें) का कम से कम उपयोग करना, धूम्रपान छोड़ना, शराब की रोकथाम, और उच्च रक्तचाप जैसी पुरानी बीमारियों की रोकथाम, मधुमेह और मोटापे जैसी बीमारियों की पूरी निगरानी, रोकथाम भी आवश्यक है।गुर्दे या थायरॉयड रोग, कोरोनरी धमनी रोग या वाल्व रोग, या शारीरिक तरल पदार्थ के संतुलन को बनाए रखने के लिए, नमक की खपत को सीमित करना, डॉक्टर द्वारा सलाह के अनुसार दवा लेना, और नियमित अनुवर्ती दिल की विफलता के जोखिम को रोक सकता है। यानी इसके इलाज के लिए पूरी निगरानी और रोकथाम मददगार हो सकती है।
( यह लेख केवल शिक्षा और जानकारी के लिए है, किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श करना बहुत महत्वपूर्ण है। )
आप अधिक जानकारी के लिए मुझसे संपर्क भी कर सकते हैं।
डॉ. वरिंदर सिंह बाजवा
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