शिक्षा एक वरदान या अभिशाप! Education a boon or a curse?
शिक्षा पाकर प्रत्येक व्यक्ति आज खुद को भाग्यशाली मानता है ये कुछ हद तक सही भी है लेकिन शिक्षा का अभिमान करना मूर्खता का प्रतीक है शिक्षा से मानव में सुधार आता है और उसे भले बुरे का भी ज्ञान होता है साथ ही हिसाब किताब में भी वो तेज होता है इसलिए शिक्षा आज मनुष्य की पहली जरूरत बन गई है इसके बिना वो स्वयं को हीन समझता है।
लेकिन अधिक पढ़ने से मनुष्य में कुछ अवगुण भी विकसित हो रहे है वो अधिक पढ़ने से अपने से कम पढ़े लिखे लोगों को छोटा समझने लगता है और साथ ही मूर्ख भी समझता है और स्वयं को अधिक बुद्धिमान। ये अहंकार ही आगे चलकर उसके विनाश का कारण भी बनता है आज शिक्षा पाकर मानव रिश्ते नातों और बड़े बूढ़े का आदर करना भी भूल गया है ।
आज मानव ने परमाणु बम,हथियार और रासायनिक हथियार और तरह तरह के बम बनाकर स्वयं ही अपने विनाश का सामान तैयार कर लिया है इसके अलावा वो समय समय पर कार,बस,रेल और हवाई जहाज और फ्रिज आदि बनाकर पृथ्वी के वायुमंडल को प्रदूषित तो करता ही रहता है साथ ही मानव के जीवन के लिए अति आवश्यक ओज़ोन परत को भी नुकसान पहुंचा रहा है और ओजोन परत के बिना मानव जीवन संभव नहीं है।इसके अलावा वो भूमि के बहुमूल्य पदार्थों का भी अंधाधुंध दोहन कर रहा है जोकि सीधा विनाश को निमंत्रण है।
आज से 100 साल पहले जब ये मानव शिक्षित नहीं था तब भी लोग अपना जीवन यापन अच्छे से करते ही थे साथ ही लोगों में कितना अपनापन और प्रेम भाव था सब मिलजुलकर रहते थे और संकट के समय एक दूसरे का सहयोग करते थे।वो दिन भी कितने अच्छे थे ।और आज इस शिक्षा के अभिमान से ये मानव दूसरे लोगों की मदद की बात तो छोड़ो अपने सगे संबंधियों की मदद करना भी उचित नहीं समझता है बल्कि उनको संकट में देखकर प्रसन्न होता है इसलिए आज मानव की बुद्धि पर सचमुच तरस आता है।
इस समय को देखकर एक गीत याद आ रहा है
देख तेरे इंसान की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान!
सूरज ना बदला चांद ना बदला ना बदला ये आसमान कितना बदल गया इंसान!